हरिद्वार में बच्चे की किडनैपिंग का कैसे हुआ 24 घंटे में खुलासा?, पढ़िए पूरी कहानी

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हरिद्वार मे आठ महीन का बच्चा चोरी होने के बाद पुलिस ने उसे महज कुछ घंटों में ही बरामद कर लिया। इस मामले में पुलिस ने पूरे गिरोह का भी खुलासा कर दिया। पुलिस की माने तो बच्चा का सौदा ढाई लाख रुपए में हुआ था। इस खुलासे के बाद पुलिस की हर तरफ वाहवाही हो रही है।

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आपको बता दें कि हरिद्वार में हाल में ही में एक बच्चा चोरी हुया। आठ महीना का ये बच्चा घर से चोरी हुआ तो पूरे जिले में हड़कंप मचा। यहां तक कि बात देहरादून पहुंची और सीएम ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए तत्काल एसएसपी अजय सिंह को बच्चा बरामद करने के लिए हर संभव प्रयास करने का निर्देश दिया।


उधर बच्चे की तलाश में लगी पुलिस ने एक एक कर सैंकड़ों सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरु कर दिए। पुलिस को एक पत्रकार ने बड़ी टिप दे दी। इस बीच पुलिस अपने हिसाब से भी जांच कर रही थी। तभी पुलिस को बच्चे जिस घर से चोरी हुआ था उसके घर से सटे घर में रहने वालों की भूमिका संदिग्ध मिली।


ऐसे चुराया बच्चा
बताते हैं कि अपर रोड पर कपड़े की दुकान चलाने वाला संजय निसंतान है। कुछ समय पहले तक वह एक निजी अस्पताल में काम करता था।


वहीं उसकी जान-पहचान आशा कार्यकर्ता रूबी से हुई थी। संजय ने रूबी से बच्चा दिलाने के लिए कहा था। रूबी ने अपनी जानकार आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता आशा से इस बारे में बात की। आशा ने पड़ोस में रहने वाली सुषमा से जिक्र किया और कहा कि बच्चा मिल जाए तो अच्छी रकम भी मिल सकती है।


इस पर सुषमा के मन में लालच आ गया और उसने पड़ोस में रहने वाली अपनी समधन अनीता व उसकी मुंह बोली बेटी किरन के साथ मिलकर उसी गली में रहने वाले रविंद्र और राखी के मासूम बेटे शिवांग के अपहरण का ताना-बाना बुना। चूंकि रविंद्र का घर किरन के घर से बिलकुल सटा हुआ था, इसलिए मौका लगते ही वह बच्चे को उठा कर लाई और सुषमा को सौंप दिया। सुषमा बच्चे को लेकर जटवाड़ा पुल पहुंची और किरन की मुंहबोली मां अनिता को सौंप दिया।


फिर सुषमा व अनिता ने रूबी और आशा को बताया कि काम हो गया है, ग्राहक को बुला लीजिए। जगह तय होने पर बहादराबाद क्षेत्र के बढेडी राजपूतान स्थित एक पेट्रोल पंप के पास उनकी मुलाकात संजय से हुई। संजय ने बच्चा लेकर 50 हजार रुपये दिए और बाकी दो लाख रुपये बाद में देने का वादा किया। इसके बाद संजय अपनी पत्नी पारुल के साथ बच्चे को हरिपुर कलां स्थित एक गेस्ट हाउस में ले गया।


उधर तफ्तीश कर रही पुलिस और एसओजी की टीमें खोजबीन में लगी थीं। संदिग्ध मोबाइल फोन नंबरों को ट्रेस करते हुए खोजबीन शुरू की गई। रविवार को भारत माता मंदिर के पास एक मोबाइल फोन नंबर की लोकेशन मिलने पर घेराबंदी कर आशा कार्यकर्ता रूबी को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद पुलिस को पूरे खेल पर से पर्दा उठाने में अधिक वक्त नहीं लगा।


पूछताछ में पता चला कि बच्चे के घर के बराबर में रहने वाली किरन नाम की युवती ही मौका पाकर सोते बच्चे को उठाकर लाई थी। उसने दूसरी गली में रहने वाली सुषमा को बच्चा सौंप दिया, सुषमा ने पड़ोस में रहने वाली अनीता को दिया। अनीता बच्चे को लेकर आशा कार्यकर्ता रूबी के हवाले कर आई।


रूबी और आशा ने शनिवार को ही बहादराबाद क्षेत्र में जाकर कपड़ा व्यापारी संजय को बच्चा सौंप दिया। संजय ने 50 हजार रुपये नकद दिए और दो लाख रुपये बाद में देने का वादा किया। इसके बाद संजय बच्चे को अपनी पत्नी के पास ले गया। बच्चा चोरी की सूचना फैलने के बाद संजय डर गया। उसने रविवार सुबह रूबी और आशा को फोन किया। भारत माता मंदिर के पास बुलाकर बच्चा उन्हें वापस कर दिया। इसी दौरान तीनों को पकड़ लिया गया।