यशपाल के कोपभवन में जाने से भाजपा में मची हलचल, हरक ने शाह से की मुलाकात

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दिल्ली एसकेटी डॉटकॉम

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राजनीतिक दलों में मिशन 22 को लेकर अपना कुनबा बढ़ाने तथा अपने कुनबे को बिखराव से बचाने के लिए कशमकश शुरू हो चुकी है। भाजपा इस मसले पर अनिल बलूनी के माध्यम से बढ़त बना चुकी है भाजपा ने निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार के अलावा कांग्रेस के सीटिग विधायक राजकुमार के भाजपा में जाने से कांग्रेस में अपने विधायकों तथा नेताओं की निगरानी बढ़ा दी है ।

लेकिन भाजपा नेता एवं वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के भाजपा छोड़ने की अटकलों के बीच जिस तरह से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बिना किसी कार्यक्रम के यशपाल आर्य के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की उससे प्रदेश का राजनैतिक पारा चढ़ गया है। यशपाल आर्य के के बारे में यह कयास लगे हैं कि वह देर सवेर भाजपा छोड़ अपने पुराने घर वापसी करेंगे।

जिस की वजह से भाजपा के कान खड़े हो गए और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दौड़े-दौड़े उनके आवास पर जाना पड़ा। इससे पूर्व एक पखवाड़े पीछे जाएं तो उमेश शर्मा काऊ के साथ मंत्री धन सिंह रावत के कार्यकर्ताओं समर्थकों का जिस तरह से सार्वजनिक रूप से बहस हुई उससे भाजपा ने कांग्रेस से आए सभी नेताओं मैं नाराजगी देखी गई। जिसका सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल, और हरक सिंह ने विरोध भी किया इधर यशपाल के नाराज होने से इस तरह की अटकलों को और भी बल मिल गया। उमेश शर्मा काऊ इस लिए भी नाराज बताए जा रहे हैं कि धन सिंह श्री नगर छोड़कर रायपुर की सीट पर लड़ना चाहते हैं। इसलिये उन्होंने रायपुर मे गतिविधियां बडा दी हैं। जिससे उमेश शर्मा नाराज बताये जा रहे हैं।सम्भवतः वह भी कांग्रेस वापसी कर सकते हैं।

विगत दिवस अन्य वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने इन सारे सारे घटनाक्रमों को जोड़ते हुए राष्ट्रीय आलाकमान अमित शाह से मुलाकात की उन्होंने सारे मामलों की जानकारी गृहमत्री एवं पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता अमित शाह को दी। हरक सिंह संभवत अपनी नाराजगी भी आलाकमान को अवगत करा चुके हैं पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जिस तरह से उन्हें ढेंचू ढेंचू कह कर पुकारा उससे वह असहज हो गए। हाटक पहले ही कह चुके हैं कि वह 2022 का चुनाव नही लड़ेंगे। लेकिन आखिरी वक्त पर वह क्या फैसला न ले लें कोई कह नही सकता है।

यशपाल आर्य की नाराजगी को भाजपा हल्के में नहीं ले सकती है वह प्रदेश में दलित नेता के रूप में सबसे बड़े चेहरे के रूप में जाने जाते हैं। जब वह कांग्रेस से भाजपा में गए तो उन्होंने कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाया प्रदेश में 29% एस सी समुदाय से जुड़े लोगों की आबादी है जिन पर बहुत बड़ा असर यशपाल आर्य के इशारे पर रहता है। यशपाल आर्य वर्ष 2012 में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए अपनी सरकार बना चुके हैं और इसके अलावा वर्ष 2009 में भी उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस ने प्रदेश की पांचों सीटें लोकसभा में भेजी थी अनुष्का कांग्रेस के शासन के दौरान यशपाल आर्य ने कई बार नाराजगी दिखाएं और वह कई मौकों पर कोप भवन में जाते रहे जहां उन्हें पहले विजय बहुगुणा और उसके बाद हरीश रावत ने उनके पास जाकर उन्हें मनाया लेकिन 2017 आते-आते कुछ विशेष कारणों के चलते वह भाजपा में चले गए जबकि वह उन लोगों के साथ पार्टी छोड़कर नहीं गए जिन्होंने बगावत की। इसकी वजह से भी कांग्रेसमे उनकी पति एक सॉफ्ट कॉर्नर भी है कि वह विद्रोही नहीं थे उन्होंने कांग्रेश का साथ पूरे 5 साल तक दिया 6