संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाय

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पूर्व सैनिक कर्मचारी संगठन सैनिक कल्याण उत्तराखंड के नेतृत्व में सैनिक कल्याण संविदा कर्मचारियों द्वारा अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार किया गया । कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी की अध्यक्षता में 2 अगस्त 2021 को सचिव सैनिक कल्याण सचिव वित्त सचिव न्याय एवं सैनिक कल्याण संगठन कर्मचारियों के प्रतिनिधियों को माननीय सैनिक कल्याण मंत्री द्वारा आमंत्रित किया बैठक में निर्णय लिया गया कि उत्तराखंड शासन के शासनादेश 2007 के तहत कर्मचारियों को विभागीय संविदा में लेने का निर्णय किया गया ।लेकिन कार्यवाही नही की गई।इसके तहत कर्मचारियों द्वारा 3 अगस्त 2021 को अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार जारी रखा

कर्मचारियों का कहना है कि वर्ष 2007 से 2021 तक 14 साल व्यतीत होने के उपरांत भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई मात्र पत्राचार एवं वार्ता ही चल रही है जिससे कर्मचारियों में काफी आक्रोश है और कर्मचारियों अपने को बार-बार ठगा महसूस कर रहे हैं और कर्मचारियों ने अब मन बना लिया है कि जब तक जियो शासनादेश नहीं तब तक काम नहीं का नारा देकर अपनी बातों को सरकार के समक्ष रखने का आह्वान किया है और कर्मचारी द्वारा आर पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया जाए क्योंकि अब समय बहुत कम है और जल्दी ही आचार संहिता लगने वाली है इसमें विभाग बार-बार समय बर्बाद कर कर्मचारियों को गुमराह कर रहा है जो बहुत ही दुखद विषय है काफी खेत का विषय है पूर्व सैनिक कर्मचारी का कहना है कि जब तक शासनादेश जारी नहीं किया जाता है तब तक किसी भी हालत में कार्य बहिष्कार वापस नहीं लिया जाएगा इसमें सैनिक कल्याण कर्मचारी संगठन के संयोजक श्सुरेंद्र सिंह रौतेला जिला अध्यक्ष कैलाश भट्ट जिला सैनिक कल्याण सहायक अधिकारी पुष्कर सिंह भंडारी शंकर सिंह बिष्ट जगत सिंह बोरा नरेंद्र सिंह बोरा भगवत सिंह चौहान एवं कई अन्य पूर्व सैनिक एवं वीरनारी उपस्थित थे।

सभी ने वक्तव्य में यह कहा कि वास्तव में सैनिकों कर्मचारियों के साथ बहुत ही अन्याय हो रहा है कई सालों से विभाग आश्वासन ही देता है आ रहा है जो बहुत दुखद विषय है कि विभाग में मात्र 15 से 17 कर्मचारी ही उत्तराखंड में नियमित है जो लगभग सभी प्रशासनिक अधिकारी एवं समकक्ष पद पर हैं संविदा कर्मचारी कोई भी सुध नहीं ले रहा है, जिससे कार्यरत संविदा कर्मचारी सैनिकों में बहुत रोष व्याप्त है। अतः पिछले अनुभवों, और झूठे आश्वासनों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि यह युद्ध अंतिम निर्णय अपने पक्ष में आने तक जारी रखा जाएगा।