अंग्रेजों कि वजह से छिन्न भिन्न हुई भारतीय शिक्षण प्रणाली:बनकोटी, यहाँ एमआईईटी मे हुआ कार्यक्रम

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हल्द्वानी एसकेटी डॉट कॉम

हल्द्वानी, लामाचौड़ स्थिति MIET संस्थान के तत्वाधान में भारतीय शिक्षण मंडल के विस्तारक वर्ग का आयोजन किया गया। वर्ग के आयोजन का उद्देश्य छात्र छात्राओं के मध्य भारतीय शिक्षण मंडल की कार्यप्रणाली और उद्देश्य की महत्ता को उजागर करना रहा।

आयोजन में सहयोग के लिए MIET के निदेशक डॉ. तरुण सक्सेना के सहयोग से उत्तराखंड प्रांत विस्तारक अक्षुण्ण गायकवाड़ और देहरादून विस्तारक देवऋषि ने अपनी बात उपस्थिति छात्रों तक पहुंचाई.

आयोजन के मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के विज्ञान विभाग के निदेशक प्रो. पी. डी. पंत तथा मुख्य वक्ता के रूप में श्री बृजेश बनकोटी जी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन श्री संकर्षण मिश्र जी द्वारा किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता बनकोटी ने अपने उद्बोधन में संगठन की कार्यप्राणली पर प्रकाश डालते हुए संगठन को कैसे विस्तारित किया जाता है इस पर अपनी बात रखी। साथ ही भारतीय ज्ञान परंपरा पर प्रकाश डालते हुए गुरुकुल प्रणाली को अपनाने पर जोर दिया।

वहीं मुख्य अथिति प्रो. पंत ने अपनी बात रखते हुए तक्षक्षिला, एवं नालंदा विश्वविद्यालय का वर्णन करते हुए बताया की अतीत में किस प्रकार भारत शिक्षा जगत के चलते विश्वगुरु की संज्ञा पा सका। और कालांतर में अंग्रेजों ने किस प्रकार पूरी भारतीय शिक्षा पद्धति पर प्रहार किया। कार्यक्रम के दौरान उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय से श्री विकास जोशी (इतिहास विभाग), डॉक्टर ललित मोहन पंत (मनोविज्ञान विभाग), श्री जगमोहन मेहरा (सहायक कुलसचिव), डॉक्टर राकेश पंत (पुस्तकालय विभाग) श्री मोहित कांडपाल (प्रदेश कार्यकारणी सदस्य युवा मोर्चा) तथा श्री वीरेंद्र बिष्ट (पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष), पी. जी. कॉलेज हल्द्वानी) उपस्थित रहे।