इधर हल्दी की रस्म उधर दुल्हन को प्रसव पीड़ा दिया सुन्दर बेटे को जन्म

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छतीसगढ़ बस्तर, एसकेटी डॉटकॉम।

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कई बार ऐसी घटनाएं घट जाती हैं जिनका भारतीय समाज में सूचना भी काफी अटपटा लगता है इधर लड़की की शादी की रस्म चल रही हो और दुल्हन को प्रसव पीड़ा हो जाए उसके बाद जितना बड़ा तांडव हो सकता है बारात वापस चली जाएगी दुल्हन के मायके वालों की इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी ऐसे कई तरह के विचार मन में आते हैं लेकिन ऐसा ही कुछ अभी आदिवासी क्षेत्रों की परंपराएं हैं जहां लड़का लड़की एक दूसरे को पसंद करने के बाद स्वतंत्र होते हैं कि वह एक दूसरे के साथ रह सकते हैं अगर एक दूसरे के संग रह रहे हो तो निश्चित रूप से कुछ न कुछ नया डेवलपमेंट होगा जिसे आदिवासी क्षेत्र के लोग अपनी पेथू प्रथा मानते हैं।

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जहां पर शादी के दौरान हल्दी रश्म चल रही थी. उसी दौरान दुल्हन को प्रसव पीड़ा हुई और शादी के कार्यक्रम को बीच में ही रोक देना पड़ा. परिजन दुल्हन को तुरंत ही अस्पताल लेकर पहुंच, जहां पर उसने एक बेटे को जन्म दिया. यह मामला जिले के बडेराजपुर ब्लाक के ग्राम बांसकोट का है.  

किंड़गीडिही जिला नवरंगपुर उड़ीसा की रहने वाली दुल्हन की मां सरिता मंडावी ने बताया कि आदिवासियों में चल रही पैठू प्रथा के चलते उनकी बेटी शिवबती मंडावी अगस्त माह में कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर अपनी पसंद के लड़के चंदन नेताम जो बांसकोट का रहने वाला है. उसके यहां घर पैठू के लिए गई हुई थी. जहां पर वो लगभग 6 माह रही और गर्भवती हो गई. 

आदिवासी समाज में आज भी चल रही है पैठू प्रथा

बता दें, आदिवासी समाज में एक अलग प्रथा है जिसमें न तो मुहूर्त देखा जाता है न कुंडली का मिलान किया जाता है बल्कि लड़के-लड़कियां एक दूसरे को पसंद कर शादी के लिए स्वतंत्र होते हैं.  शादी योग्य लड़के-लड़की एक दूसरे को पसंद करते हैं तो लड़की, लड़के के घर में चली जाती है जिसे पैठू प्रथा के नाम से जाना जाता है.  यह प्रथा आज भी ग्रामीण क्षेत्र में चल रही है. 

दोनों के परिजनों ने तय किया कि अब शादी करा देनी चाहिए. फिर दोनों पक्षों ने अपने- अपने रिश्तेदारों को शादी होने की इसकी सूचना दी. लेकिन शादी की तैयारियों के चलते कुछ देरी हो गई और शादी का शुभ मुहूर्त भी निकल गया. शादी के लिए बकायदा ग्रामीणों को निमंत्रण दिया गया था. 

हल्दी की रश्म के दौरान दुल्हन के उठी प्रसव पीड़ा

30 जनवरी 2022 को हल्दी लेपन का कार्यक्रम चल रहा था. 31 जनवरी को आशीर्वाद समारोह और खाने खाने का प्रोग्राम था. लेकिन हल्दी की रश्म के दौरान दुल्हन के पेट में दर्द होने लगा. तुरंत ही उसे अस्पताल ले जाया गया. जहां पर सुबह के समय उसने एक बेटे को जन्म दिया.पूरे परिवार में जश्न का माहौल  पैद हो गया.