ऐसी कसम, जिससे पक्का हो जाता है कैंडिडेट का वोट

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चुनाव की तारीख करीब आते ही प्रत्याशियों के दिल की धड़कन बढ़ने लगी हैं। प्रदेश में चुनावी रैलियां चल रही हैं, एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। नेतागण बस किसी तरह अपना वोट पक्का कर लेना चाहते हैं। उत्तराखंड में तो कई क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां प्रत्याशी व समर्थक वोट के लिए वोटर को कसम दिलाने तक से पीछे नहीं हटते। नमक-लोटे के साथ होने वाली इस कसम को वोट की गारंटी माना जाता है। माना जाता है कि उत्तरकाशी की रवाईं घाटी के मोरी व पुरोला ब्लाक में नमक-लोटे के साथ आज भी मतदाताओं को नमक-लोटे की कसम दिलाई जाती है। बेहद गुपचुप ढंग से होने वाली कसम को प्रत्याशी व समर्थक वोट की गारंटी की तरह लेते हैं। बताया जाता है कि इसकी जानकारी भी केवल कसम लेने और दिलाने वाले को ही होती है। इसके अलावा किसी को नहीं। चुनाव में कितने लोगों को नमक-लोटा की कसम दिलवाई गई है, इसका विवरण भी अलग से रखा जाता है। यहां आपको ये भी जानना चाहिए कि आखिर नमक-लोटा कसम होती क्या है। दरअसल नमक-लोटा की कसम लोटे (बर्तन) में नमक डालकर दिलाई जाती है, जिसमें कसम लेने वाला व्यक्ति ईष्ट देव को साक्षी मानकर पानी से भरे लोटे में नमक डालता है और कसम दिलाने वाले के प्रत्याशी को वोट नहीं देने पर पानी में नमक की तरह गलने की बात कहता है।

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सदियों से चली आ रही इस परंपरा को लेकर कहा जाता है कि पहले इसे केवल जमीनी विवाद या आपसी झगड़े सुलझाने के लिए शुरू किया गया था। बाद में इसका इस्तेमाल चुनाव में भी होने लगा। ये बात और है कि युवा पीढ़ी को नेताओं का इस तरह का इमोशनल टॉर्चर कतई नहीं सुहाता, और वो कसम को राजनीति से दूर रखने की वकालत कर रहे हैं। युवा नेता दीपक सिंह कहते हैं कि अब युवा पीढ़ी धीरे-धीरे जागरूक हो रही है और कसम की जगह प्रत्याशी की योग्यता देखकर वोट करती है। कसम दिलाकर मतदाता को बंधन में नहीं बांधा जाना चाहिए। उन्होंने कसम को राजनीति से अलग रखने की भी बात कही। वहीं डीएम उत्तरकाशी मयूर दीक्षित कहते हैं कि ये वोटर की इच्छा है कि वह किसे अपना वोट देना चाहता है। कोई शिकायत करता है कि उसे वोट के लिए डराया या धमकाया जा रहा है, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।