कांग्रेस की नई टीम-हारे हुए योद्धाओं को जंग जीताने की कमान

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हल्द्वानी एसकेटी डॉट कॉम

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उत्तराखंड कांग्रेस ने चुनावी मोड में आने के लिए चुनाव अभियान समिति समेत विभिन्न चुनावी प्रबंधन समितियों की घोषणा कर एक तरह से चुनावी जंग का ऐलान कर दिया है।

नए प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के साथ ही नए नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और 4 नए कार्यकारी अध्यक्षों पर इस चुनावी महासमर को जीतने की जिम्मेदारी दी गई है। इलेक्शन कैंपेन कमिटी के चेयरमैन के तौर पर 72 वर्षीय खाटी जमीनी नेता हरीश रावत को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया गया है वही नए प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को एक ब्राह्मण चेहरे के रूप में पेश किया गया है।

इसके अलावा क्षेत्रीय और जातीय समीकरण को साधने के लिए चार कार्यकारी अध्यक्षों की घोषणा की गई है। यह प्रयोग प्रदेश में पंजाब के बाद किया गया है की अलग-अलग क्षेत्र के अलग-अलग समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोगों को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है।

लेकिन इन सब में एक बात सामान्य तौर पर एक समान नजर आ रही है वह है की पूरी टीम जिसे जिताने की जिम्मेदारी दी गई है वह सब पिछले वर्ष 2017 के चुनाव में पराजित योद्धा है। कांग्रेस इन पराजित योद्धाओं की बल पर 2022 का महासमर जितने का सपना दिख रही है।

यह सपना सच होता है या नहीं यह तो भविष्य ही बता पाएगा लेकिन जिन लोगों को भी जिम्मेदारी दी गई है वह सभी अपने प्रतिद्वंद्वियों से पराजय की मार खाए हुए हैं। इन में चाहे मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट किए गए हरीश रावत जो अपनी दोनों विधानसभा हार गए। नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए गणेश गोदियाल भी श्रीनगर से चुनाव हारे। भुवन कापड़ी, तिलकराज बेहड़ ,प्रोफेसर जीतराम और रणजीत सिंह रावत भी अपने अपने चुनाव क्षेत्रों में बड़ी हार का सामना कर चुके हैं। यह सब हारे हुए योद्धा हैं जिन्हें 2022 का महा समर जिताने की जिमेदारी दी है। जीता हुआ योद्धा सिर्फ प्रीतम सिंह है जिन्हें पार्टी ने मुख्य धारा से अलग नेता प्रतिपक्ष बना कर संतुष्ट कर दिया।

कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की परंपरा कांग्रेस ने सभी को संतुष्ट करने की एक रणनीति के तहत किया है लेकिन यह रणनीति कितनी सफल होगी यह आने वाले कुछ ही दिनों में सामने आ जाएगा किस तरह से यह पराजित योद्धा जीतने की रणनीति बनाते हैं या सिर्फ अपने क्षेत्र में अपने चुनाव को लेकर विपक्षी प्रत्याशी के द्वारा बनाए गए ताने-बाने में ही फस कर रह जाते हैं ।

यह सभी लोग आगामी 2022 के चुनाव में प्रत्याशी के तौर पर अपना दावा ठोकेंगे तो निश्चित रूप से इन्हें अपनी विधानसभा में लोगों के बीच उपस्थिति बनाए रखनी होगी तो समझा जा सकता कैसे यह अध्यक्ष एवं कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर पार्टी के लिए अपनी विधानसभा से बाहर निकल कर प्रदेश में कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ा सकते हैं।

फिलहाल कांग्रेस की नई कमेटी कब अपना अध्ययन शुरू करती है और इसके लिए बनाई गई समितियों के सदस्य किस तरह से चुनाव जीतने की योजना पर काम करते हैं लेकिन समितियों में अध्यक्ष और सदस्यों के रूप में नामित किए हुए लोग अपने क्षेत्र में चुनाव में व्यस्त रहते हुए कैसे कांग्रेस के संगठन के लिए काम करेंगे यह देखना दिलचस्प होगा ।

कांग्रेस ने इस बार एक बड़ा कदम उठाया है जिन समितियों की घोषणा अभी की है वह अमूमन चुनाव से कुछ वक्त पहले करती थी अब इसका फायदा कांग्रेस को कितना मिलता है। अथवा इसका कोई नकारात्मक पक्ष भी निकलता है जिसका कुप्रभाव भी पार्टी अभियान पर पड़ सकता है।