उत्तराखंड में यहां मिली महाभारत कालीन गुफा, अंदर स्थापित है श्रीकृष्ण की मूर्ति
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में जिले में महाभारत कालीन गुफा मिली है। इस गुफा को दो साधुओं ने मिलकर खोजा है। इस गुफा में पत्थर की बनी श्रीकृष्ण की मूर्ति भी स्थापित है। इसके साथ ही गुफा में एक शिवलिंग भी स्थापित है।
उत्तरकाशी में मिली महाभारत कालीन गुफा
उत्तरकाशी जिले में वरुणावत पर्वत पर बसे ज्ञाणजा गांव में दो साधुओं ने मिलकर एक गुफा खोजी है। जिसे की महाभारत कालीन बताया जा रहा है। इस गुफा में पत्थर की बनी श्रीकृष्ण की मूर्ति भी स्थापित है।
इसके साथ ही एक शिवलिंग भी यहां पर मौजूद है। मिली जानकारी के मुताबिक स्वामी शंकर महाराज ने ज्ञाणजा गांव के हरुना नामे तोक में जंगलों के बीच करीब 250 मीटर प्राकृतिक गुफा की खोज की है।
गुफा में है पत्थर की बनी श्रीकृष्ण की मूर्ति और शिवलिंग
गुखा को खोजने के बाद स्वामी शंकर महाराज ने गांव वालों के साथ इस गुफा के अंदर जाकर संर्वेक्षण किया है। इस दौरान उन्हें गुफा के अंदर पत्थर की बनी श्रीकृष्ण की एक मूर्ति मिली। जिसे की महाभारतकालीन बताया जा रहा है। इस मूर्ति में श्रीकृष्ण हाथ में बांसुरी लिए खड़े हैं। इसके साथ ही गुफा के अंदर एक शिवलिंग भी मिला है।
साधुओं ने उठाया गुफा को विकसित करने का बीड़ा
दो सादुओं स्वामी शंकर महाराज और जोगड़ गांव आश्रम के विपुल स्वामी ने एक साथ मिलकर इस गुफा को विकसित करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने गुफा तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां सहित गुफा के मुख को चौड़ा कर वहां पर गेट का निर्माण किया है।
इसके साथ गुफा के अंदर सोलर लाइट भी लगाई गई है। गुफा के बारे में स्वामी विपुल ने बताया कि पुराणों में उल्लेख है कि ये महाभारत काल में महातपा ऋषि की तपस्थली रही थी।
ग्रामीणों ने की पर्यटन विभाग से गुफा के संरक्षण की मांग
इस गुफा के बारे में पता चलने के बाद से ग्रामीण पर्यटन विभाग से गुफा के संरक्षण किए जाने की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इसका संरक्षण किया जाना चाहिए। ताकि ये धार्मिक के साथ ही रोमांच पर्यटन का केंद्र बन सके। क्योंकि ये गुफा पंचकोसी यात्रा के मुख्य पड़ाव पर स्थित है।
इसके साथ ही गांव वालों ने जिला प्रशासन से गुफा के संरक्षण की मांग की है। जिससे कि यह पर्यटन का नया केंद्र बन सके। हालांकि अब तक पुरातत्व विभाग द्वारा गुफा का सर्वेक्षण नहीं किया गया है। पुरातत्व विभाग के सर्वेक्षण के बाद ही पता चल पाएगा कि ये गुफा महाभारत कालीन है कि नहीं।
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