Lok Sabha Election : राजनीति का गढ़ है पौड़ी गढ़वाल, यहां से निकले सात मुख्यमंत्री और कई दिग्गज नेता

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पौड़ी गढ़वाल सीट दिग्गजों की सीट है। ये ऐसी सीट है कि जहां से सात मुख्यमंत्री निकले और कई ऐसे दिग्गज नेता जिन्होंने ना केवल प्रदेश में बल्कि देश की राजनीति में भी अहम योगदान दिया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले हेमवती नंनद बहुगुणा पौड़ी गढ़वाल के ही लाल हैं।

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  1. पर्वत पुत्र हेमवती नंनद बहुगुणा
    पौड़ी जिले के बुघाणी गांव में 25 अप्रैल 1919 को एचएन बहुगुणा का जन्म हुआ। जिन्होंने देश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई।हेमवती नंनद बहुगुणा को एक समय में कांग्रेस पार्टी का चाणक्य भी कहा जाता था। बता दें कि साल 1971 में एचएन बहुगुणा कैबिनेट मंत्री रहे। जिसके बाद वो साल 1973 में वें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बनें। ऐसा पहली बार हुआ था जब कोई पहाड़ी उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना था।

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एचएन बहुगुणा——-
बहुगुणा साल 1979 में चरण सिंह की सरकार में वित्त मंत्री बनें। इसके बाद 1980 में चुनाव जीतने के बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया। इसके बाद साल 1982 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में वो मैदान में उतरे और उन्होंने जीत भी हासिल की। ऐसा कहा जाता है कि साल 1982 के उपचुनाव जैसा चुनाव उत्तराखंड के चुनावी इतिहास में कभी नहीं हुआ। खुद पीएम इंदिरा गांधी बहुगुणा को हराने के लिए गढ़वाल पहुंची थी।

  1. विजय बहुगुणा
    विजय बहुगुणा उत्तराखंड के छठे मुख्यमंत्री बनें। विजय बहुगहुणा स्व एचएन बहुगुणा के पुत्र हैं। विजय बहुगुणा को कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक माना जाता था। उन्होनें टिहरी लोकसभा से राज परिवार को हराया था और अपनी लोकप्रियता का आभास कराया था। इसके साथ ही वो कई अहम पदों पर भी काबिज रहे। साल 2017 में विजय बहुगुणा ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था।

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विजय बहुगहुणा——-

  1. रमेश पोखरियाल निशंक
    पौड़ी जिले के पिनानी गांव के रमेश पोखरियाल निशंक की गिनती भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं में की जाती है। बता दें कि निशंक 1991 से लेकर 2012 तक पांच बार विधायक रहे। इसके साथ ही वो 1997, 1999 में उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे। उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे। साल 2009 में वो प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें। जिसके बाद वो 2019 मोदी कैबिनेट में वे शिक्षा मंत्री बनें। साल 2020 में देश को नई शिक्षा नीति दी।

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रमेश पोखरियाल निशंक—-

  1. मेजर जनरल बीसी खंडूरी
    मेजर जनरल बीसी खंडूरी दो बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। बीसी खंडूडी का जन्म देहरादून में हुआ लेकिन उन्होनें अपने राजनीति सफर की शुरूआत गढ़वाल सेकी। बता दें कि वो अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में सड़क परिवहन राजमार्ग, राज्य मंत्री रहे। इसके साथ ही उन्हें भारत की राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना को लागू करने का श्रेय भी जाता है।

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बीसी खंड्डूरी——

  1. उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
    उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देश के लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। योगी आदित्यनाथ मूलरूप से पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गांव के रहनेवाले हैं। योगी आदित्यनाथ बीजेपी के दिग्गज नेताओं में से एक हैं। यौगी दो बार के मुख्यमंत्री हैं। इसके साथ ही वो गोरखपुर लोकसभा सीट से वें संसद के सदस्य भी रहे हैं। बता दें कि योगी आदित्यनाथ ने पहली बार 1998 में गोरखपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था।

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योगी आदित्यनाथ ——

  1. त्रिवेंद्र सिंह रावत
    त्रिवेंद्र सिंह रावत पौड़ी गढ़वाल के खैरासैंण गांव के रहने वाले हैं। जो कि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को आरएसएस और बीजेपी संगठन के मजबूत नेताओं में से एक माना जाता है। इस बार लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को हरिद्वार सीट से प्रत्याशी बनाया है।

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त्रिवेंद्र सिंह रावत —–

  1. तीरथ सिंह रावत
    भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं में से एक तीरथ सिंह रावत पौड़ी गढ़वाल के सीरो गांव के रहने वाले हैं। रावत ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत छात्र राजनीति से की थी। साल 1992 में वो गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष बने।

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तीरथ सिंह रावत ——
जिसके बाद साल 1997 में तीरथ सिंह रावत यूपी विधान परिषद के सदस्य चुने गए। इसके बाद साल 2012 में वो विधायक बने और 2019 में गढ़वाल सीट से सांसद बने। इसके बाद साल 2021 में वो उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने।