श्रीकृष्ण की बसाई द्वारका नगरी समुद्र में कैसे डूब गई? जानें यहां

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इस समय गुजरात की बेट द्वारका खास चर्चाओं में है। हाल ही में यहां पीएम मोदी ने भी दर्शन किए। पर क्या आप जानते हैं कि आखिर श्रीकृष्ण द्वारा बसाई गई द्वारका नगरी कैसे जलमग्न हुई। कहा जाता है कि द्वारका कई बार बनी और जल में समाई। बाद में भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण कराया। इसके भी कई पुननिर्माण और जीर्णोद्धार हुए। यह मंदिर बेट द्वारका में स्थित है।

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पौराणिक कथा के अनुसार, जरासंध द्वारा प्रजा पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए भगवान श्रीकृष्ण मथुरा छोड़कर चले गए थे। साथ ही उन्होनें समुद्र के किनारे अपनी एक दिव्य नगरी बसायी, जिसका नाम द्वारका रखा। यहां भगवान श्रीकृष्ण पूरे यदुवंश के साथ सुखपूर्वक रहने लगे। इसी दौरान महाभारत युद्ध हुआ। युद्ध में लाखों लोग मारे गए, साथ ही कौरवों का सर्वनाथ हो गया। पांडव विजयी हुए और हस्तिनापुर का राज्य उन्हें मिला। वहीं अपने 100 पुत्रों की मृत्यु से बेहद दुखी गांधारी ने भगवान कृष्ण को महाभारत युद्ध का दोषी ठहराते हुए श्राप दिया था कि जैसे सभी कौरवों का नाश हो गया है, वैसे ही तुम्हारे पूरे कुल का नाश हो जाएगा।

36 साल में डूब गई थी द्वारका
गांधारी के श्राप के कारण यदुवंश नष्ट हो गया। द्वारका में रह रहे लोग आपस में ही लड़कर मरने लगे। हालात यह भी हुए कि महाभारत युद्ध होने के केवल 36 साल बाद ही द्वारका जलमग्न हो गई। भव्य द्वारका नगरी समुद्र में डूब गई। 1980 में ऑर्कियोलॉजिस्‍ट प्रो.एसआर राव और उनकी टीम ने समुद्र में द्वारका नगरी को खोजा। यहां उन्‍हें 560 मीटर लंबी द्वारका की दीवार मिली। बर्तन समेत कई चीजें मिलीं जो 1528 ईसा पूर्व से 3000 ईसा पूर्व के हैं