जिसनेअडिग इरादों के साथ मनाया ब्लैक डे,वह है आंदोलनकारी की बेटी काजल रावत
हल्द्वानी एसकेटी डॉटकॉम
भले ही आज देशवासियों के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं भारत के सबसे लोकप्रिय प्रधानमत्रियों में से एक लाल बहादुर शास्त्री के की जयंती हो और लोग इनके प्रतिमाओं पर फूल माला चढ़ाकर अपने कर्तव्यों की इति श्री कर रहे हो लेकिन उत्तराखंड वासियों के लिए आज का दिन काले दिन दिन के अलावा कुछ नहीं है।
आज ही के दिन जब लोग शांति के दूत महात्मा गांधी की की याद में विश्व शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हो लेकिन उत्तराखंड वासियों के लिए आज का दिन बहुत बड़ा दुख का दिन रहा था।
जब 2 अक्टूबर 1994 को मुजफ्फरनगर तिराहे पर उत्तर प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने बर्बरता पूर्वक गोलियां चलाकर आधे दर्जन से अधिक आंदोलनकारियों को उड़ा दिया था। इसके अलावा कई इसलिए हर आंदोलनकारी का मन आज के दिन सिहर उठता है। यहां की सरकारें उन आंदोलनकारियों की याद में कुछ बड़ा नहीं करती हैं जबकि वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर ही फोकस करती आई है । सरकारों को राज्य के लिए शहीद हुए लोगो की भावनाओ का ध्यान रखना चाहिए।
जबकि उन वीरों को भी सम्मान देने के साथ ही स्वन्त्रतासंग्राम सेनानियों की तरह याद किया जाना चाहिए जिन्होंने इस राज्य के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी।
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मोहिनी देवी रावत की बेटी वर्तमान में उत्तराखंड क्रांति दल की महिला प्रकोष्ठ की महानगर अध्यक्ष काजल रावत ने आज काला वस्त्र पहनकर इस दिन को तत्कालीन सरकार के द्वारा बर्बरता पूर्वक गोली चलाई जाने के खिलाफ काला दिवस मनाया ।भले ही मौसम ठीक नहीं होने के कारण उनके साथ बहुत ज्यादा कार्यकर्ता नहीं आ पाए लेकिन फिर भी उनके मन में वो तल्खी आज भी देखी गई जो उत्तराखंड आंदोलनकारियों के मन में उस समय से दबी हुई है।
उन्होंने काला वस्त्र पहनकर और काला फीता बांधकर विरोध जताया उनके साथ आंदोलनकारी नंदी देवी भी मौजूद रही।उन्होंने कहा कि उन्हें फर्क नहीं पड़ता है कि कितने लोग उनके साथ आज पाए हो लेकिन वह आज भी उन आंदोलनकारियों की शहादत को दिल से याद करती हैं तथा उन्हें नमन करती हैं। कई वर्षों से वह अपनी माता की प्रेरणा से राज आंदोलनकारियों की बातों को हर मंच से उठाती हैं और उनके साथ होने वाले हर दुर्व्यवहार का पुरजोर विरोध करती है।
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