भाजपा मुख्यमंत्रियों की प्रयोगशाला ,उत्तराखंड एव कर्नाटक के बाद अब किसकी बारी, देखें विस्तृत रिपोर्ट

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हलद्वानी एसकेटी डॉटकॉम

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भारतीय जनता पार्टी ने अपने शासित प्रदेशों में मुख्यमंत्री बदलने की प्रयोगशाला बना कर नित्य नए प्रयोग कर फिर से नए मुख्यमंत्री बनाकर जनता पर करो का बोझ डाल दिया है।

उत्तराखंड के बाद अब कर्नाटक में भी नए मुख्यमंत्री का प्रयोग किया है। उत्तराखंड और कर्नाटक में एक बात की समानता है इन दोनों राज्यों ने दक्षिणपंथी पार्टीभाजपा को प्रचंड बहुमत दिया है लेकिन इन दोनों राज्यों में भाजपा का कोई भी मुख्यमंत्री अभी तक अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। इसके पीछे यह देखा गया है की आलाकमान ने किसी भी क्षेत्रीय नेता को मजबूत होने से रोका गया है। भाजपा के अंदरूनी सूत्र बताते हैं की पद आसीन मुख्यमंत्री के खिलाफ उन्हीं के कार्यकर्ता आलाकमान तक शिकायत पहुंचाते हैं और उसके बाद आलाकमान अपनी इच्छा के अनुसार नया व्यक्ति सीएम की कुर्सी पर बिठा देता है।

उत्तराखंड और कर्नाटक के बाद अब किस राज्य की बारी है इसकी चर्चा भी अंदर खाने चल रही है भाजपा ने अपनी अंदरूनी सर्वे मैं पाया है की कई राज्यों में पार्टी सत्ता की वापसी नहीं कर पाई रही है वह कई अन्य राज्यों जहां उनकी सरकार है मुख्यमंत्री के पद में बदलाव कर ने पर गंभीर रूप से विचार कर रही है। इन राज्यों में वह राज्य शामिल हैं जहां की शिकायतें लगातार हाईकमान तक पहुंच रही हैं।

उत्तराखंड में तीसरा मुख्यमंत्री देने के बाद अब भाजपा ने कर्नाटक में तीसरी बार नेतृत्व परिवर्तन किया है। वर्ष 20 17 में बहुमत साबित नहीं करने पर बीएस येदरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा उसके बाद जेडीएस और कांग्रेस ने मिलकर कुमार स्वामी को मुख्यमंत्री बनाया तो बी एस येदरप्पा ने कांग्रेस और जेडीएस के नाराज विधायकों को अपने पाले में मिलाकर दोबारा से सत्ता हथिया ली। इस बार भी भाजपा ने येदयुरप्पा को ही मुख्यमंत्री बनाया अब अचानक 2 साल के बाद ऐसा क्या घटा कि येदरप्पा को हाईकमान ने उनके पद से हटा दिया ।

बसवराज बोम्मई को जो अभी तक यदुरप्पा सरकार में गृह मंत्री थे को नया मुख्यमंत्री बनाया है इस तरह से भाजपा ने यह तीसरा मुख्यमंत्री बनाकर प्रयोगशाला में एक प्रयोग और कर डाला। भाजपा को कर्नाटक में दक्षिण के अन्य राज्यों के इत्तर काफी समर्थन दिया है वहां की जनता लेकिन भाजपा ने वहां इतने प्रयोग किए हैं कि अब जनता भी भाजपा के द्वारा बनाए गए मुख्यमंत्रियों पर विश्वास करने से बच रही है। विश्वस्त सत्रों के अनुसार जनता यह कह रही है कि कोई मुख्यमंत्री जनता के लिए योजनाएं लाता है तो दूसरा मुख्यमंत्री उन योजनाओं को बढ़ाने के बजाय नई योजनाएं लागू कर देता है जबकि सरकार भाजपा की ही होती है।

कर्नाटक में भाजपा की प्रयोगशाला के मुख्यमंत्री

भारतीय जनता पार्टी को कर्नाटक में सबसे पहले 2007 में सत्ता मिली येदुरप्पा ने पहले मुख्यमंत्री के रूप में 12 नवंबर 2007 को शपथ ली लेकिन बहुमत साबित नहीं करने के चलते 19 नवंबर को ही इस्तीफा देना पड़ा इसके बाद 2008 में भाजपा दोबारा सत्ता में आई तो बुजुर्गों को फिर से मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन 3 साल के 31 जुलाई 2011 को आलाकमान ने उनसे इस्तीफा ले लिया उसके बाद डी सदानंद गौड़ा को 4 अगस्त 2011 को मुख्यमंत्री बनाया और 12 जुलाई 2012 को उनसे भी इस्तीफा ले लिया उसके बाद 2012 में जगदीश शेट्टार को तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित किया।

उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया तो भाजपा बुरी तरह पराजित हो गई कांग्रेस ने सत्ता में वापसी कर ली और सिद्ध रमैया के रूप में वर्ष 2013 से 2018 तक कांग्रेस ने एक मुख्यमंत्री के साथ अपना 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा किया। इसके बाद 2018 में भाजपा ने येदयुरप्पा को फिर से मुख्यमंत्री बनाया लेकिन 1 हफ्ते के बाद जब वह बहुमत सिद्ध नहीं कर पाए तो दोबारा से उन्हें हटना पड़ा 2019 मैं कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को तोड़ने के बाद एक बार फिर भाजपा के यदुरप्पा के रूप में सत्तासीन हुई लेकिन 2 वर्ष में ऐसा गणित बदला कि येदुरप्पा को फिर से इस्तीफा देना पड़ा और बसवराज बोम्मई को नया मुख्यमंत्री बनाया है।

भाजपा के दोनों यह शासित राज्य उत्तराखंड और कर्नाटक इन दोनों में एक समानता रही है कि इन दोनों ही राज्यों में भाजपा का कोई भी मुख्यमंत्री अपने 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। उत्तराखंड में सबसे पहले 2007 में भुवन चंद खंडूरी मुख्यमंत्री बने 2 साल के बाद उन्हें हटाकर रमेश पोखरियाल निशंक को मुख्यमंत्री बनाया गया सभा 2 साल के बाद उन्हें भी हटाकर एक बार फिर खंडूरी को सत्ता सौंपी गई। खंडूरी है जरूरी के नारे के बाद भी भाजपा कांग्रेस से एक सीट पीछे रह गई और सत्ता कांग्रेस हाथ में आ गई। 2017 में जनता द्वारा प्रचंड बहुमत देने के बाद भी यहां की जनता तीसरे मुख्यमंत्री को देख रही है यहां 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत को कई सीनियर नेताओं के ऊपर अर्जी देकर मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन 4 वर्ष होने से कुछ ही दिन पूर्व उन्हें गद्दी से उतार कर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया। तीरथ सिंह रावत के साथ भी आलाकमान ने न्याय नहीं किया करीब 4 महीने की उनके शासन की उपलब्धियों को देखकर उन्हें भी बिना चुनाव लड़ाई रुखसत कर दिया। तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में युवा तुर्क पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया गया। 1956 में अस्तित्व में आए कर्नाटक में कई मुख्यमंत्री बने लेकिन सिर्फ 3 ने अपना कार्यकाल पूरा किया जिनमें एन निजलिंगपा, देवराज उर्स और सिद्धारमैया शामिल हैं तीनों कॉन्गस के मुख्यमंत्री हैं। उत्तराखंड में वर्ष 2002 में पंडित नारायण दत्त तिवारी ने कांग्रेस के मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता संभाली जिन्होंने वर्ष 2007 तक अपना 5 वर्ष का पूरा कार्यकाल विकास के साथ पूरा किया उसके बाद वर्ष 2012 में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की तो विजय बहुगुणा और हरीश रावत दो मुख्यमंत्री वर्ष 2017 तक कांग्रेस की ओर से रहे। उससे अंतरिम सरकार में भी भाजपा ने नित्यानंद स्वामी और भगत सिंह कोश्यारी के रूप में दो मुख्यमंत्री दिए। वर्ष 2007 में 3 और अब वर्ष 2017 में फिर से 3 मुख्यमंत्री भाजपा की ओर से उत्तराखंड में प्रयोग किए गए हैं।