भाजपा प्रत्याशियों की कभी भी आ सकती है लिस्ट

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भाजपा के आंतरिक सर्वे और पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर पार्टी के कई मौजूदा विधायकों के टिकट खतरे में पड़ गए हैं। इन विधायकों को पार्टी के भीतर से ही कड़ी चुनौती भी मिल रही है। सूत्रों के मुताबिक ऐसे विधायकों की संख्या बीस तक पहुंच सकती है।

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छटनी की जद में आने वाले विधायकों को भी इसकी भनक लग चुकी है। इस कारण ऐसे विधायक अब एकजुट होकर प्रमुख नेताओं से मिल रहे हैं। पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के डिफेंस कॉलोनी स्थित आवास पर ऐसे नौ विधायक जुटे जिनके टिकटों पर संकट आ सकता है। अब जबकि टिकट घोषित किए जाने बाकी हैं और नामांकन के लिए गहमागहमी शुरू होने ही वाली है, ऐसे में इन विधायकों का चिंतित होना लाजिमी है।

हालांकि फिलहाल भाजपा पर विधायकों की इस लामबंदी से खास फ़र्क पड़ता नजर नहीं आ रहा है। पार्टी नेतृत्व टिकट कटने के बावजूद इनमें से ज्यादातर के पार्टी में ही बने रहने को लेकर आश्वस्त है। इसकी एक अहम वजह यूपी के विपरीत यहां सियासी विकल्प सीमित होने में हैं। इन विधायकों के मुकाबले मुख्य विपक्षी कांग्रेस के पास पहले से ही मजबूत नेता है।

भाजपा के कुछेक विधायकों को छोड़कर शेष कोई भी विधायक अपने दम पर निर्दलीय मैदान में कूदने की स्थिति में भी नहीं है। वैसे भी पार्टी टिकट कटने पर होनी वाली नाराजगी को दूर करने के लिए वैकल्पिक प्लान तैयार कर चुकी है। इसके लिए हर विधायक को मानने के लिए पहले ही वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी दी जा चुकी है। इस कारण पार्टी अदला-बदली के अपने मूल प्लान पर आगे बढ़ सकती है।