#Uttrakhand उत्तराखंड में है ऐसा मंदिर जहां होता है पांच पुश्तों का भी न्याय, यहां है मां कोटगाड़ी का दरबार

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कोटगाड़ी देवी
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की खूबसूरत वादियों के बीच पांखू गाव में बसा है मां कोटगाड़ी का एक ऐसा दिव्य धाम जहां हर किसी को न्याय मिलता है। आप सबने न्याय के देवता गोलू के बारे में तो सुना ही होगा ठीक उसी तरह कुमाऊं के पिथौरागढ़ क्षेत्र में भी एक देवी है जो न्याय के लिए जानी जाती है। जिनके दरबार में जाके पांच पुश्तों का भी न्याय होता है।

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कौन हैं देवी कोटगाड़ी ?
कोटगाड़ी देवी को माता भगवती का स्वरुप माना जाता है। यहां मां भगवती वैष्णवी रुप में पूजी जाती है ऐसा कहा जाता है जैसे चितई के गोलू देव अन्याय से पीड़ित लोगों को न्याय दिलाते हैं वैसे ही पांखू की कोटगाड़ी देवी भी लोगों को न्याय देती है।

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ऐसा कहा जाता है माता कोटगाड़ी के मुख्य सेवक भंडारी ग्वल्ल हैं। माता कोटगाड़ी को यहां सात्विक भोग ही लगता है और जब भी किसी की मनोकामना पूरी होती है तो माता कोटगाड़ी के दरबार में अठवार और बलि चढ़ाई जाती है लेकिन ये बली माता कोटगाड़ी को नहीं चढ़ती ये माता के सेवक ग्वल्ल और भैरव के थानों में दी जाती है। हालांकि अब बलि प्रथा को समाप्त कर दिया गया है।

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मां के दरबार को कहा जाता है पहाड़ का सुप्रीम कोर्ट
माता कोटगाड़ी के दरबार में लोग न्याय के लिए न्यायालयों से दिए गए निर्णयों को स्टांप पेपर में लिखकर यहां जमा करते है और पहाड़ के लोगों का भोलापन कहें या आस्था आज के आधुनिक दौर में भी यहां के लोग न्यायालयों से ज्यादा विश्वास कोटगाड़ी देवी पर करते हैं। इसलिए ही इसे पहाड़ का सुप्रीम कोर्ट भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मां कोटगाड़ी न्याय की प्रत्यक्ष देवी है। स्थानीय लोग बताते हैं कि प्राचीन समय मे उस पूरे क्षेत्र मे फैसले ही मां के दरबार में ही होते थे ।

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पांच पुश्त का भी न्याय होता है इस दरबार में
लोगों का यहां तक मानना है की कोटगाड़ी देवी के इस धाम में पांच पुश्त पहले दिए अन्यायपूर्ण फैसलों पर भी सुनवाई होती है। इसके साथ ही लोगों का उनका मानना है की उन्हें कहीं से न्याय मिले ना मिले लेकिन माता के दरबार में जरुर उनका फैसला होगा माता कोटगाड़ी जरूर उन्हें न्याय देगी।

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क्यों ढकी हुई है माता कि प्रतिमा

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लोक मान्यता के मुताबिक बताया जाता है कि यहां देवी कोटगाड़ी की मूर्ति में योनि साफ-साफ उकेरी गई है। जिस वजह से यहां माता की मूर्ति को ढक कर रखा जाता है। कोटगाड़ी माता के धाम में माता के अलावा सूरजमल और छुरमल देवता भी पूजे जाते हैं। हर साल चैत्र और अश्विन मास की अष्टमी को और भादों में ऋषि पंचमी को माता कोटगाड़ी के धाम में मेला लगता है