#Uttrakhand कभी भी आ सकता है बड़ा भूकंप, रेड जोन में उत्तराखंड, पढ़िए ये रिपोर्ट

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देश के साथ ही प्रदेश में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। वैज्ञानिकों ने बार-बार भूकंप आने को किसी बड़े खतरे की आहट बताया है। लेकिन लगातार आ रहे भूकंप से एक सवाल उठ रहा है कि आखिर बार-बार भूकंप क्यों आ रहे हैं ?

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इस पर आईआईटी कानपुर सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सीनियर प्रोफेसर और जियोसाइंस इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ प्रो. जावेद एन मलिक कहते हैं कि ‘हिमालय रेंज में टेक्टोनिक प्लेट अस्थिर हो गई है। इसके चलते अब लंबे समय तक इस तरह के भूकंप आते रहेंगे।

भारत में कभी भी आ सकता है बड़ा भूकंप
भूकंप को लेकर आईआईटी कानपुर की टीम लंबे समय से रिसर्च कर रही है। प्रो. जावेद मलिक के मुताबिक भूकंप को लेकर भारत की स्थिति चिंकाजनक हो रही है। उनका कहना है कि लोग अगर ऐसा सोच रहे हैं कि भारत में बड़े भूकंप नहीं आएंगे तो ये गलत है। उन्होंने कहा कि कभी भी भारत में बड़े भूकंप आ सकते हैं।

हिमालयन रेंज में बड़े भूकंप का खतरा
प्रो. जावेद एन मलिक का कहना है कि हिमालयन रेंज में बड़े भूकंप की आशंका है। हिमालयन रेंज यानी कि नेपाल, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और लद्दाख में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है। उनका कहना है कि रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.8 से 8.5 के बीच हो सकती है जो कि बड़ा खतरा है। जिस से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है।

भारत कर चुका है भूकंप के समय में प्रवेश
आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट के मुताबिक भारत भूकंप के समय में प्रवेश कर चुका है। यानी भारत उस टाइमलाइन में दाखिल हो चुका है जब कभी भी और किसी भी वक्त हिमायलन रेंज में बड़ा भूकंप आ सकता है। प्रो. जावेद एन मलिक के मुताबिक हिमालय भी इस ओर इशारा कर रहा है कि हिमायलन रेंज में कभी भी भयावह भूकंप आ सकता है।

भूकंप का केंद्र हो सकते हैं गढ़वाल और कुमाऊं के इलाके
प्रो. मलिक के मुताबिक जब भी हिमालयन रेंज में भूकंप के झटके आएंगे तो उसका असर पूरे उत्तर भारत में देखने को मिलेगा। उत्तर भारत में मैदानी समतल इलाकों में भी इसका गंभीर असर होगा। उनका कहना है कि उत्तराखंड में खासतौर पर गढ़वाल और कुमाऊं वाले इलाके रेड जोन में हैं। ये इलाके भूकंप का केंद्र हो सकते हैं।

साल 1505 और 1803 में उत्तराखंड में आया था तीव्र
आपको बता दें कि साल 1505 और 1803 में उत्तराखंड में बड़ा भूकंप आया था। 1505 में आए भूकंप का उल्लेख अकबरनामा और बाबरनामा में भी है। बताया जाता है कि इस भूकंप से बड़े पैमाने पर विनाश हुआ था। इसके बाद 1803 में तीव्र भूकंप आया था।

इस भूकंप का असर दिल्ली एनसीआर से लेकर मथुरा तक देखने को मिला था। जिस से काफी नुकसान हुआ था। साल 2015 में नेपाल में 7.8 से 8.1 तीव्रता का भूकंप आया था। तब नेपाल में आठ हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और 20 हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।