ये है ऐसे नेता चुनाव तो लड़ रहे हैं लेकिन वोट अपने को नही दे पाएंगे दूसरो के वोट पर दर्ज करेंगे जीत

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हल्द्वानी एसकेटी डॉट कॉम

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विधानसभा चुनाव विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आ गई है लोग अपने मत को लेकर उत्साहित हैं अपनी पसंद के नेता को वोट देने के लिए लायलित हैं और अपने वोट की कीमत भी जान रहे हैं कई ऐसे नेता भी हैं जो अपने वोट की कीमत तो जानते हैं लेकिन अपने को ही वोट नहीं डाल पा रहे हैं ऐसा इसलिए है कि वह अपने निवास स्थान की विधानसभा सीट को छोड़कर दूसरी विधानसभा सीट से अपना भाग्य आजमा रहे हैं ऐसे में वह दूसरों की भूतों पर जीत हासिल कर उनका अनुमान दा बनेंगे लेकिन अपने को वोट डालने के लिए तरस कर रह जाएंगे।

मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व काबीना मंत्री यशपाल आर्य समेत कई बड़े नेता इस बार खुद को वोट नहीं डाल सकेंगे। दरअसल, ये नेता अपनी विधानसभा छोड़कर दूसरी सीटों से चुनाव मैदान में उतरे हैं। ये नेता अपनी विधानसभा में तो अपनी पार्टी को वोट कर सकते हैं, लेकिन खुद को अपना वोट नहीं डाल सकेंगे। कुमाऊं की करीब आधा दर्जन विधानसभा सीटों पर बाहरी प्रत्याशी होने से यह समीकरण बन रहे हैं। निर्वाचन विभाग को दिए शपथ पत्र में इन बड़े नेताओं ने अपनी विधानसभा का ब्योरा पेश किया है। शपथ पत्र के मुताबिक, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत 147 शक्ति विहार माजरा देहरादून के स्थायी निवासी हैं। लेकिन, वे इस बार लालकुआं सीट से मैदान में उतरे हैं। लिहाजा वे लालकुआं में अपना वोट नहीं दे सकेंगे।

इसी तरह पूर्व काबीना मंत्री यशपाल आर्य की विधानसभा सीट बाजपुर है। लेकिन, वे 60 विधानसभा क्षेत्र कालाढूंगी के वोटर हैं। इस लिहाज से वे भी अपनी सीट पर खुद को वोट नहीं डाल सकेंगे। बेटे विधायक संजीव आर्या भी नैनीताल से कांग्रेस के सीट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं। उनका पता भी 60 विधानसभा क्षेत्र कालाढूंगी है।  इसी तरह कांग्रेस नेता रणजीत सिंह रावत सल्ट विस चुनाव से मैदान में उतरे हैं। लेकिन, वे रामनगर विस के वोटर हैं। पूर्व सांसद व कांग्रेस नेता महेंद्र सिंह पाल रामनगर से मैदान में उतरे हैं। वे नैनीताल के रहने वाले हैं। इसके चलते वे भी नैनीताल में ही वोट डाल सकेंगे। ऊधमसिंह नगर की सितारगंज सीट पर बसपा प्रत्याशी एवं पूर्व विधायक नारायण पाल भी खुद को वोट नहीं डाल सकेंगे। 

पहले भी दूसरी सीटों से विधानसभा चुनाव लड़ते रहे हैं नेता
बाहरी सीटों से विधानसभा चुनाव में उतरने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले के चुनावों में भी बाहरी प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं। ऊधमसिंह नगर जिले की ही बात करें तो यहां से पिछले बार कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत किच्छा विधानसभा सीट से मैदान में उतरे थे। वे तब भी वह सपने को वोट नही डाल य थे।