खांसी सिरप से बच्चों की मौत के बाद ‘सेफ्टी’ साबित करने के लिए डॉक्टर ने खुद पिया, 8 घंटे सड़क किनारे बेहोश मिला

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children died from cough syrup a doctor drank himself prove safety
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राजस्थान में सरकारी अस्पतालों से बांटे जा रहे एक खांसी के सिरप ने प्रदेशभर में हड़कंप मचा दिया है। यह दवा बच्चों के इलाज के लिए दी जा रही थी, लेकिन अब तक दो मासूमों की जान ले चुकी है और दर्जनों बच्चों को अस्पताल पहुंचा चुकी है। सबसे चौंकाने वाली बात…

नेशनल डेस्क: राजस्थान में सरकारी अस्पतालों से बांटे जा रहे एक खांसी के सिरप ने प्रदेशभर में हड़कंप मचा दिया है। यह दवा बच्चों के इलाज के लिए दी जा रही थी, लेकिन अब तक दो मासूमों की जान ले चुकी है और दर्जनों बच्चों को अस्पताल पहुंचा चुकी है। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि सिरप की गुणवत्ता पर उठे सवालों के बीच एक डॉक्टर ने खुद इसे पीकर इसकी ‘सेफ्टी’ साबित करने की कोशिश की, लेकिन कुछ ही देर में वो खुद 8 घंटे तक बेहोश पड़ा मिला। इस पूरे मामले ने सरकार को भी हिला कर रख दिया है और अब 22 बैचों पर रोक लगाते हुए, दवा निर्माता कंपनी पर जांच बैठा दी गई है।

मासूम बच्चों की जान पर बन आई दवा
इस जानलेवा सिरप से पहली मौत सीकर जिले से सामने आई।
5 साल का नितीश खांसी की शिकायत के बाद चिराना सीएचसी से यह सिरप लेकर आया था।
रात में मां ने दवा दी, बच्चा पानी मांगकर सो गया — लेकिन सुबह तक उसकी मौत हो चुकी थी।
परिजनों ने बताया कि वह दिनभर सामान्य था और शाम को गरबा भी खेला था।

दूसरी मौत भरतपुर जिले के मल्हा गांव में हुई।
2 साल के सम्राट जाटव ने यह सिरप लिया, जिसके बाद उसे उल्टी होने लगी और वह होश में नहीं आया।
सम्राट की बहन और चचेरा भाई भी बीमार हुए लेकिन इलाज से बच गए।
जब परिजनों ने सीकर की खबरें देखीं, तब उन्हें अंदेशा हुआ कि वही सिरप जिम्मेदार हो सकता है।

 डॉक्टर ने खुद पी सिरप, पड़ा बेहोश
भरतपुर के बयाना में जब डॉ. ताराचंद योगी को बच्चों के बीमार पड़ने की जानकारी मिली, तो उन्होंने खुद सिरप पीकर उसकी जांच करनी चाही।
उन्होंने एंबुलेंस ड्राइवर को भी दवा दी।
कुछ ही देर में डॉक्टर खुद अचेत हो गए और 8 घंटे तक सड़क किनारे पड़े मिले।
परिजनों ने फोन ट्रैकिंग से उनकी लोकेशन पाई और उन्हें अस्पताल ले गए।
एंबुलेंस ड्राइवर भी बीमार पड़ा, हालांकि इलाज के बाद ठीक हो गया।

बांसवाड़ा में 8 बच्चे बीमार, एक गंभीर
बांसवाड़ा जिले में भी 8 बच्चे इसी सिरप के सेवन से बीमार हुए।
इनमें से एक 6 साल का बच्चा गंभीर स्थिति में पहुंच गया, जिसे समय पर इलाज से बचा लिया गया।

सरकारी कार्रवाई तेज़ – 22 बैच बैन, सप्लाई पर रोक
राज्य सरकार ने सिरप की 22 बैचों को प्रतिबंधित कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, जुलाई से अब तक 1.33 लाख बोतलें बांटी जा चुकी थीं।
जयपुर के एसएमएस अस्पताल में अभी भी 8,200 बोतलें स्टॉक में हैं, जिन्हें अब नष्ट किया जाएगा या वापस मंगाया जाएगा।
दवा निर्माता ‘केसॉन फार्मा’ की सप्लाई पर रोक लगा दी गई है।
गौर करने वाली बात ये है कि इसी कंपनी की एक और सिरप 2023 में भी क्वालिटी टेस्ट में फेल हुई थी, जिसके बाद उसे बैन किया गया था।

अब उठते हैं ये गंभीर सवाल:
जब सिरप जुलाई से बांटा जा रहा था, तो टेस्टिंग में चूक कैसे हुई?
क्या कोई फार्माकोलॉजिकल सुरक्षा जांच की गई थी?
बार-बार एक ही कंपनी से दवा क्यों खरीदी जा रही है, जबकि उसका ट्रैक रिकॉर्ड संदिग्ध है?
बच्चों की जान लेने वाली दवा का दोष किस पर जाएगा – निर्माता, डिस्ट्रिब्यूटर या प्रशासन?

परिजनों की मांग – दोषियों पर हो हत्या का मुकदमा
नितीश और सम्राट के परिजन इस घटना को सरासर लापरवाही और हत्या मानते हैं। उनका कहना है कि जांच केवल फॉर्मलिटी नहीं होनी चाहिए, बल्कि जिम्मेदारों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए।