पहाड़ निवासी यह अंतराराष्ट्रीय शेफ जिसका तन तो सात समुद्र पार है लेकिन मन तो देवभूमि मे ही बसता है, इन्द्रेश्वर महादेव मंदिर के पुनरोद्धार के लिए जन जन में जागा रहा है अलख

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मासी,रंगीलीगेवाड़ एसकेटी डॉट कॉम

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विधानसभा क्षेत्र द्वाराहाट के तल्ला गेवाड़ घाटी के अंतर्गत मासी के समीप खनूली ग्राम जन्मे चंद्र प्रकाश महादेव और गुरु गोरखनाथ के अनन्य भक्त हैं उनकी भक्ति का आलम यह है कि सात समुंदर पार दक्षिण अमरीकी देश घाना में एक शेफ के तौर पर अपना सेवाएं दे रहे हैं.

लेकिन वास्तव में उनका मन राम गंगा तट के समीप इंद्रेश्वर महादेव मंदिर में समाया रहता है. उन्होंने इस मंदिर की जर्जर हालत देखकर उनसे रहा नहीं गया जिसकी वजह से उन्होंने इसका पुनरुद्धार करने का संकल्प लियाऔर इसे पूरा करने के लिए वह हर संभव हर क्षण प्रयत्नशील रहते हैं.

इसके लिए उन्होंने एक ट्रस्ट का निर्माण किया जिसमें इंद्रेश्वर महादेव मंदिर और गांव में ग्रामदेवता गुरु गोरखनाथ के मंदिर का भी जीर्णोद्धार करने का निश्चय किया है इस ट्रस्ट को संस्थापक अध्यक्ष के तौर पर शुरू करने वाले चंद्रप्रकाश ने बताया कि आचार्य नीतेश पाण्डेय समेत अभी कुल 3 लोग इस ट्रस्ट में हैँ

जर्जर हालत में है खंनुली गांव स्थित इंद्रेश्वर महादेव मंदिर

निकट भविष्य में ट्रस्ट में अन्य पदाधिकारियों और सदस्यों को जोड़कर विस्तृत रूप देने का निश्चय किया है.. इंद्रेश्वर महादेव मंदिर का काफी पौराणिक महत्व है लोगों के अनुसार यह मंदिर 1000 वर्ष से भी पुराना है. हमारे ग्रंथों में इस मंदिर का उल्लेख पाया जाता है.

वक्रासुर नामक राक्षस से मुक्ति पाने के लिए देवताओं के राजा इंद्र ने इसी स्थान पर महादेव शिव की आराधना की जिसकी वजह से इस स्थान का नाम इंद्रेश्वर महादेव मंदिर पड़ा. ग्राम खनूली स्थित इस मंदिर में कपिला गाय के पद चिन्ह भी मौजूद हैं जो कि पौराणिक सत्यता को प्रमाणित करते हैं.

मंदिर में हस्तकला के अवशेष प्रताप पुनर्निर्माण होता मंदिर

इस ट्रस्ट और इंद्रेश्वर महादेव मंदिर और गुरु गोरखनाथ के मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए उन्होंने जन जागरण अभियान छेड़ा हुआ है वह हर हर रोज अपने गांव और इसके आसपास के लोगों से दक्षिण अमेरिकी देश घाना से ही संपर्क में रहते हैं और उनसे इस मंदिर में चल रहे कार्य की प्रगति के बारे में भी जानकारी लेते रहते हैं.

महादेव और गुरु गोरखनाथ में आस्था रखने वाले सभी लोगों से संपर्क साधकर अपनी मुहिम को आगे बढ़ाने में लगातार दिन-रात जुटे रहते हैं. उनके इस तरह के संकल्प से खुश होकर ग्राम वासियों ने इंद्रेश्वर महादेव मंदिर और गुरु गोरखनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार जिम्मेदारी निभाने का आश्वासन दिया है.इसके अलावा उन लोगों का कहना है कि वह मंदिर के पुनरुद्धार के लिए जन जागरण कर अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे.

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में गांव के अधिकांश लोग पलायन जरूर कर चुके हैं लेकिन गांव में आते जाते रहते हैं. दिल्ली में गांव के लोगों की एक समिति बनी हुई है जिसके माध्यम से वह इंद्रेश्वर महादेव शिवालय और गुरु गोरखनाथ के मंदिर जीर्णोद्धार के लिए जनसंपर्क बनाए हुए हैं.

चंद्रप्रकाश से उनके इस अभियान के बारे में पूछने पर वह कहते हैं कि जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि कदायप: अर्थात जन्म भूमि का स्थान काफी बड़ा होता है. महादेव का नाम सिर्फ संकट में ही नहीं लिया जाता बल्कि हर समय नाम लेते रहने से संकट ही हट जाता है. अपनी संस्कृति और पूर्वजों के नाम लेने से हमेशा अच्छा ही होता है. मनुष्य जो भी सोचता है उसे उसी हिसाब से पुण्य और प्रारब्ध प्राप्त होता है लेकिन इसके लिए उसे परिश्रम करना पड़ता है तभी उसे मीठा फल प्राप्त होता है.

पुनरुद्धार का कार्य लगातार चल रहा है

इंद्रेश्वर महादेव मंदिर के बारे में यह विख्यात है कि जब अल्प वर्षा से क्षेत्रवासियों को जल संकट का सामना करना पड़ता है, तब यहां भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है, एवं गर्भ गृह को जल से भर दिया जाता है. मंदिर से जुड़े भक्त कहते हैं कि ऐसा करने से भगवान इंद्र को संकेत मिलता है और वर्षा होती है.

मंदिर को भव्य रूप में लाने के लिए समस्त क्षेत्रवासियों के अलावा बाहर के लोगों से भी शिवालय के निर्माण के लिए सहयोग मांगा जा रहा है तथा उनसे पावन कार्य के लिए दान की अपेक्षा की जा रही है संपर्क के माध्यम से लोगों के पास इस बात को रखा जा रहा है जिसका लोग अच्छा रिस्पांस दे रहे हैं उन्हें उम्मीद है कि महादेव की कृपा से वह इस महा मंदिर को भव्य रुप में पुनः स्थापित करने में सफल रहेंगे.

उन्होंने बताया कि इंद्रेश्वर महादेव गुरु गोरखनाथ ट्रस्ट का उद्धेश्य विशुद्ध निस्वार्थ भाव से श्री इंद्रेश्वर महादेव शिवालय मंदिर, श्री गोरखनाथ मंदिर के सेवा कार्य करना है, मेरा मानना है कि निस्वार्थ भाव रखकर की गई भक्ति- धन, वैभव और ऐश्वर्य दिलवाती हैउन्होंने बताया कि अपने पूर्वजों के कथनों के आधार पर मंदिर को हरिद्वार का साक्षात अंश माना जाता है, ज्ञात हो कि मंदिर परिसर में रामगंगा तट पर सभी धार्मिक कार्यों में गंगा स्नान होता है तथा गंगा तट पर याज्ञोपवीत संस्कार कराना बहुत शुभ माना जाता है।

ग्राम खनुली को बूड़ा केदार, राम पादुका और इंदरेश्वर महादेव मंदिर की सेवा कार्य का जिम्मा सोपा गया था लेकिन आज क्षेत्र से पलायन हो जाने के कारण अब मंदिरों की हालत जर्जर हो चुकी है इसलिए ग्राम सभा के वरिष्ठ लोगो से प्रेरित होकर उन्होंने ट्रस्ट गठन कर मंदिर के जीर्णोद्धार करने पर कार्य करना शुरू किया है

बड़े हर्ष के साथ सभी ग्रामवासीओ ने इसको एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए अपनी हर संभव सहयोग का बचन दिया है