कहीं abvp के बागी ही उसकी ताबूत के कील तो सावित नहीं होंगे! क्या एनएसयूआई का सूरज बनेगा ब्रह्मास्त्र !

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हल्द्वानी एसकेटी डॉट कॉम

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प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव के लिए लड़ाई अब निर्णायक दौर में पहुंच चुकी है छात्र संगठनों ने अपने प्रत्याशियों से नामांकन कर चुनाव की डुगडुगी तेजी से बजा कर छात्रों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.

देहरादून के डिग्री कॉलेज के बाद प्रदेश के सबसे बड़े डिग्री कॉलेज के रूप में विख्यात एमबीपीजी कॉलेज में चुनाव काफी रोमांचक मोड़ पर पहुंच गया है. सत्ताधारी दल भाजपा का छात्र संगठन एबीवीपी इस बार अंतर कलह से जूझ रहा है. एबीपीबी से तीन प्रत्याशी टिकट के लिए दावेदारी कर रहे थे इनमें से कौशल विरखानी जहां संगठन का टिकट झटकने में सफल रहे वहीं संगठन में बड़ी तगड़ी फूट सामने आ गई. एबीवीपी से से दावेदारी कर रही रश्मि लमगड़िया जहां विरोधी व बनकर एबीवीपी के सामने खड़ी हो गई वही राजनीतिक रूप से अपने राजनीतिक सूझबूझ के चलते एनएसयूआई के पाले में खड़े हो गए. एनएसयूआई ने भी उन्हें हाथों-हाथ लपक लिया.

अपने विचार व्यक्त करते हुए एनएसयूआई के प्रत्याशी सूरज भट्ट

सूरज भट्ट एनएसयूआई ने हाथों-हाथ लिया वहीं कई पुराने दिग्गज छात्रसंघ अध्यक्ष उनके साथ खड़े जिससे एबीवीपी के माथे पर बल पड़ गए हैं. एबीवीपी को अब एक नहीं बल्कि दोतरफ़ा विरोध का सामना करना पड़ रहा है एक ओर जहां रश्मि रजिया सुल्ताना की तरह चट्टान की तरह खड़ी हो गई है वही कई पूर्व छात्र संगठन के अध्यक्षों समर्थन मिलने से और एनएसयूआई संगठन की ओर से सूरज को पूर्ण समर्थन मिलने से सूरज भट्ट मुकाबले में आ गए हैं.

सूरज भट्ट को जहां एबीवीपी के के पुराने कुछ साथियों का सहयोग मिल रहा है वही एनएसयूआई के की पूरी टीम उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चुनावी महासंग्राम में कूद गई है. जब तक एबीवीपी ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया था तब वह कॉलेज में सबसे ज्यादा मजबूत लग रही थी लेकिन जैसे ही उसने कौशल बिरखानी को अपना कैंडिडेट तय किया वैसे ही संगठन में दरार पड़ गई अब दरार को पाटना काफी मुश्किल लग रहा है.

सूरज भट्ट की काफी समय से तैयारी चल रही थी जिसका उन्हें अब चुनाव के नजदीक आते ही लाभ मिलना शुरू हो गया है सारे छात्र जो सूरज के समर्थक थे वह अपने साथियों को उसके पक्ष में लामबंद कर रहे हैं. जिससे सूरज की दावेदारी मजबूत होती जा रही है. अब मुख्य मुकाबले में आने के बाद छात्र जुटने लगे हैं. यह चुनाव पिछले कई उन चुनावों की तरह बनता जा रहा जिसमें दोनों राष्ट्रीय संगठनों को धता बताते हुए निर्दलीय ने बाजी मारी थी जिनमें मुख्य रूप से संजय रावत, नीरज मेहरा और राहुल धामी मुख्य रूप से शामिल हैं. छात्र नेताओं का एक गुट है जिसमें विगत छात्र नेता और अध्यक्ष शामिल हैं जो ऐसी परिस्थितियों में अपना अध्यक्ष बनाने में कामयाब भी रहे हैं अब इन लोगों ने सूरज भट्ट की कमान संभाल ली है जो कि एबीवीपी के किले पर सैंध लगाने के लिए लगातार छात्र नेताओं के संपर्क में है.

सूरज भट्ट के लिए सबसे बड़ी बढ़त बड़ी बात यह है कि रश्मि लंगड़ियां भी ऐसे वोट बैंक को अपने पाले में खींच रही है. जो कि कहीं ना कहीं एबीवीपी को मिलते रहे हैं. निश्चित रूप से यह चुनाव त्रिकोणीय रूप से फंस गया है सूरज भट्ट जहां एनएसयूआई का समर्थन हासिल करने में कामयाब हो चुके हैं वही उसकी मदद भी वह वोट भी कर रहे हैं जो रश्मि को मिल रहे हैँ. ऐसे में सूरज भट्ट निर्णायक बढ़त की ओर बढ़ रहे हैं.

कॉलेज चुनाव के विशेषज्ञों का कहना है एबीवीपी द्वारा इस बार पर्वतीय क्षेत्र से लगते हुए इस सबसे बड़े महाविद्यालय में टिकट वितरण के दौरान रणनीतिक चूक कर दी है जिसके तहत उसने पार्वतीय बाहुल्य के प्रत्याशी के बजाय गैर पर्वतीय को टिकट दे दिया है जिसका स्थानीय छात्रों मे विरोध भी दिख रहा है.

वहीं सूरज ने कहना है कि छात्रों कि मदद के लिए वह हमेशा ही उपलब्ध रहें हैं इस कार्य में कोई भी प्रत्याशी उनका मुकाबला नहीं कर सकता है. जबकि एबीवीपी सिर्फ भाषण बाजी तक ही सीमित है.