रामपुर तिराहा गोलीकांड में 30 साल बाद आया फैसला, दो आरोपियों पर दोष साबित

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रामपुर तिराहा गोलीकांड को आज भी कोई भूल नहीं पाया है। इसके जख्म लोगों के जहन में आज भी हरे हैं। इस गोलीकांड में महिलाओं की अस्मिता लूटी गई थी। उन महिलाओं को न्याय के लिए 30 साल का इंतजार किया। देर से ही सही लेकिन उन्हें न्याय मिला है और 30 साल बाद दो आरोपियों पर दोष साबित हुआ है।

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30 साल बाद आया रामपुर तिराहा गोलीकांड में फैसला
रामपुर तिराहा गोलीकांड में 30 साल बाद आए अदालत ने फैसला सुनाया है। दो आरोपियों सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप को दोषी साबित किया गया है। हालांकि सजा का फैसला 18 मार्च को होना है। इस फैसले पर राज्य आंदोलनकारी मंच ने कोर्ट का आभार व्यक्त किया है। राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदीप कुकरेती ने इस फैसले की स्वागत करते हुए कहा है कि वो न्यायालय का आभार व्यक्त करते हैं।

राज्य आंदोलनकारी व शहीद परिवारों को मिली राहत
राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन नेगी ने कहा कि आंदोलनकारी पिछले 30 सालों से हर साल दो अक्तूबर को काला दिवस मनाते हैं। इसके साथ ही दो अक्टूबर को न्याय यात्रा भी निकाली जाती है। इस मामले में 30 साल बाद आए इस फैसले से उन सभी राज्य आंदोलनकारी व शहीद परिवारों को जरूर राहत मिली होगी।

कम नहीं होता है तीस सालों का इंतजार
रामपुर तिराहा गोलीकांड में फैसला आने पर शकुन्तला नेगी व सुलोचना भट्ट ने न्यायालय का आभार व्यक्त किया हैष उन्होंने कहा कि फैसला देर आया लेकिन राज्य आंदोलनकारियों के लिए राहत लेकर आया है। उन्होंने कहा कि तीस साल का इंतजार कम नहीं होता है। इस फैसले से शहीदों की आत्माओं को शांति मिलेगी।