प्रोफेसर डॉ राकेश रयाल के गीत “गौ की याद” ने दिलाई पहाड़ की याद
देहरादून /हल्द्वानी एसकेटी डॉट कॉम
उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत राकेश रयाल जोकि जन सरोकारों के साथ उत्तराखंडी लोक संगीत को सुधारने में लगातार प्रयत्नशील रहते हैं उनके द्वारा गाए गए गीतों में पहाड़ की माटी और ऊंचे नीचे पहाड़ो की याद आती है वह बरबस सीधे पहाड़ का चित्रण कर देती है.
वर्तमान में उन्होंने #गौ की याद” नाम से एक एल्बम तैयार की है और इस एल्बम में जो उन्होंने गाने गाए हैं वह निश्चित है पहाड़ के जन सरोकार से जुड़े हुए हैं पहाड़ों की दिक्कतों को उन्होंने इस गानों में उकेरा है और गांव के संघर्ष के साथ ही वहां की संस्कृति को भी दर्शकों के बीच रखा है.
कुमांऊनी संगीत हो या गढ़वाली हमेशा से कलाकारों ने देवभूमि की रीति-रिवाजों, तीज-त्यौहारों, पलायन, ग्रामीण जीवन और जंगल-नदियों को लोकगीतों के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने का काम किया है। अब एक ऐसा ही गीत बड़े समय बाद सुनने को मिला है। जिसमें डाॅ. राकेश रयाल और मीना राणा ने अपनी आवाज दी हैं। जिसके सुनकर आपको अपने गांव की याद आ जायेगी।
इससे पहले भी गायक डाॅ. राकेश रयाल कई गीत गा चुके है। मायली भाना, कुछ तो बात हौली, बसी जौला गैरसैण, जाण छौ बॉर्डर प्यारी, मेरी सुआ जागि जावा, स्याली सुरमा, कभी सुख मा कभी दुख मा, मेरु गौ रोंत्यालु समेत कई सुपरहिट गीत दे चुके है। अब “गौ की याद” गीत से पहाड़ के पलायन पर गांव के हाल कैसे है और पहले गांव कैसे थे। इसे उन्होंने अपने शब्दों में चित्रण किया गया। गांव में खाली पड़े घरों का जिक्र और पहाड़ के रीति-रिवाज, शहर में रहकर पहाड़ की याद का ऐसा मार्मिक चि़त्रण किया है कि आपके आंसू छलक जायेंगे। गीत के माध्यम से उन्होंने गांव चलने की बात की है। जिसे सुनकर आपको अपने गांव की याद जरूर आयेंगी।
गीत में उनका साथ लोकगायिका मीणा राणा ने दिया है। ऐसे गीत कम की सुनने को मिलते है, जो पहाड़ की हकीकत को बयां करते है। यह गीत आरसी म्यूजिक एंड एंटरटेनमेंट यूट्यूब चैनल से रिलीज हुआ है। गीत को खुद डाॅ. राकेश रायल ने लिखा है, जबकि म्यूजिक जाने-माने संगीतकार संजय कुमौला ने दिया है। वही अपनी आवाज के साथ-साथ डाॅ. राकेश रयाल ने इस वीडियो गीत में ज्योति बिष्ट के साथ शानदार अभिनय से दर्शकों को दिल जीता है।
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