अपनी पेंशन बढ़वाने और इन कामों के लिए पूर्व विधायकों ने बनाया संगठन?

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तो क्या राज्य के पूर्व विधायकों ने जनता के हित के लिए बल्कि अपनी पेंशन और अन्य काम करवाने के लिए नया संगठन खड़ा किया है। उत्तराखंड में अब ये सवाल उठ रहें हैं। इस संबंध में मीडिया में रिपोर्ट भी किया जा रहा है।

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दरअसल राज्य के पूर्व विधायकों ने हाल में एक संगठन बनाया है। इस संगठन के अध्यक्ष पद का जिम्मा लाखीराम जोशी को मिला है। इस संगठन के साथ तकरीबन 36 विधायकों के जुड़ने की खबर भी आ रही है। हालांकि इसके संगठानिक ढांचे के बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं दी गई है। वहीं इस संगठन से जुड़े पूर्व विधायक दावा कर रहें हैं कि जनता की लड़ाई के लिए उन्होंने ये संगठन बनाया है लेकिन अब एक नई बात निकलकर सामने आई है।


जनहित नहीं अपना हित साधने को बनाया संगठन
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पूर्व विधायक अपनी पेंशन बढ़वाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं और इसीलिए वो संगठन के तौर पर एक प्रेशर ग्रुप बना रहें हैं। खबरें हैं कि पूर्व विधायकों को मिलने वाली पेंशन कम लग रही है लिहाजा वो इसे बढ़वाने की कोशिश में लगे हैं।


आपको बता दें कि मौजूदा वक्त में पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद राज्य में पूर्व विधायक को 40 हजार रुपये पेंशन देने के प्रावधान है लेकिन पूर्व विधायक इस कम समझ रहें हैं।


मीडिया में सामने आ रही खबरों के अनुसार पूर्व विधायक अब भी जनता के पैसों पर ऐश करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने प्रेशर ग्रुप बनाया है। सूत्रों के मुताबिक पूर्व विधायकों ने जो मांगें तैयार की हैं उनमें कैशलेस इलाज की सुविधा के साथ ही पेट्रोल और डीजल के बिलों को दोगुना करने की मांग की जा रही है। इसके साथ ही स्टेट गेस्ट हाउसेज में मुफ्त में रुकने की सुविधा और घर तथा गाड़ी के लिए इंट्रेस्ट फ्री लोन की मांग भी कर रहें हैं।


युवाओं को जितनी सेलरी नहीं उतनी विधायकों को मिलती है पेंशन
आज के दौर में जहां राज्य और देश में बेरोजगारी चरम पर है। युवाओं को जीवन चलाने के लिए रोजगार नहीं मिल रहा है। जिनको मिल रहा है वो किसी तरह से न्यूनतम आवश्यकताएं पूरी कर रहें हैं तो वहीं हमारे माननीय पूर्व विधायकों को घर बैठे मिलने वाली पेंशन भी कम लग रही है। पूर्व विधायकों को जितनी रकम पेंशन के तौर पर मिलती है उतनी तो कितने युवाओं को तनख्वाह भी नहीं मिलती लेकिन लगता है कि पूर्व विधायकों को ये पेंशन भी कम ही पड़ रही है।


प्रदेश में पूर्व विधायकों को मिलने वाली पेंशन का जहां तक सवाल है तो पहले साल के लिए 40 हजार जबकि दूसरे से पांचवें साल के लिए प्रति वर्ष दो हजार के इजाफे के बाद पांच साल का कार्यकाल पूरा करने पर 48 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन मिल जाती है। यहां एक दिलचस्प आंकड़ा ये भी है कि राज्य में कई पूर्व विधायक ऐसे हैं जो एक नहीं दो दो कार्यकालों की पेंशन उठा रहें हैं। यही नहीं पूर्व विधायकों के निधन के बाद उनके परिवार को आजीवन आधी पेंशन मिलती है।