Nainital : तो तबाही के मुहाने पर नैनीताल !, समय पर नहीं संभले तो बन कर रह जाएगा इतिहास
नैनीताल जिसका नाम सुनते ही लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। नैनीताल की खूबसूरत वादियों की तस्वीरें और यहां बिताए पल लोग संजो कर रखते हैं। लेकिन अगर समय पर नहीं संभले तो शायद ये ऐतिहासिक शहर इतिहास बनकर रह जाएगा। नैनीताल की डोरथी सीट के ढहने के बाद कराए गए सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसमें सामने आया है कि नैनीताल शहर की भार वहन करने की क्षमता खत्म हो गई है। अगर समय रहते इस स्थिति को संभाला नहीं गया तो स्थिति भयावह होंगी।
तो तबाही के मुहाने पर नैनीताल !
छह अगस्त 2024 को नैनीताल पर्यटक स्थल टिफिन टॉप चोटी पर बनी डोरोथी सीट भूस्खलन के कारण धवस्त हो गई है। इस ऐतिहासिक और खूबसूरत जगह का अस्तित्व अब खत्म हो गया है। इस घटना के बाद नैनीताल का सर्वे कराया गया। जिसकी रिपोर्ट बेहद ही डराने वाली है। भू-वैज्ञानिक ने लोनिवि के अधिकारियों के साथ टिफिन टॉप और चार्टन लॉज के सर्वे के दौरान कहा कि नैनीताल शहर की भार वहन करने की क्षमता खत्म हो गई है। जल्द ही इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया तो स्थिति और खराब हो सकती है।
डोरथी सीट बन गई इतिहास
बता दें कि छह अगस्त को डोरथी सीट भूस्खलन के कारण धंस गई और डोरथी सीट का अस्तित्व ही खत्म हो गया। पिछले साल भी 23 सितंबर 2023 को नैनीताल के चार्टन लाॅज में भूस्कलन हुआ था। जिस कारण एक घर भरभरा कर गिर गया था। इसकी चपेट में आने से दो अन्य घरों को भी नुकसान हुआ था। जिसके बाद यहां सुरक्षात्मक कार्य हो इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से पोलोवरम परियोजना प्राधिकरण, जल शक्ति मंत्रालय सरकार भारत के पूर्व प्रमुख एनएचपीसी लिमिटेड विशेषज्ञ की ओर से सर्वे करवाया गया।
नैनीताल शहर की धारण क्षमता खत्म
भूस्खलन क्षेत्र का निरीक्षण करने पहुंचे जियो टैग सलाहकार व भू-वैज्ञानिक भास्कर दत्त पाटनी के मुताबिक नैनीताल की पहाड़ियां बेहद ही संवेदनशील हैं। इन पहाड़ियों की भारवाहक क्षमता पूरी हो गई है। ऐसे में शहर में बनने वाली बिल्डिंगस बड़े खतरे को बुलावा दो रही हैं।
उन्होंने कहा कि लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण नैनीताल की नींव कमजोर हो रही है। इसका स्थायी उपचार करने की जरूरत है। इसके साथ ही शहर के ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त किया जाना बहुत जरूरी है। इन उपायों से ही शहर में भूस्खलन के खतरे को कम किया जा सकता है। विशेषज्ञों की राय और मौजूदा हालातों को देखकर ऐसा लगता है कि अगर समय रहते सही कदम नहीं उठाया गया तो नैनीताल भी इतिहास बनकर रह जाएगा।
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