उत्तराखंड की इन दो सीटों पर मुकाबला हो रहा दिलचस्प, निर्दलीय उम्मीदवारों ने बढ़ाई टेंशन
उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों को लेकर नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो गई है। लेकिन भाजपा लोकसभा चुनाव में जीत को लेकर भाजपा बड़े अंतर से आश्वस्त नजर आ रही है। लेकिन कांग्रेस उम्मीदवारों के नामांकन में उमड़ी भीड़ ने भाजपा की कुछ हद तक टेंशन बढ़ने का काम कर दिया है,जिसको लेकर वार पलटवार भी देखने को मिल रहा है।
उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों के लिए हुए नामांकन में 63 प्रत्याशियों ने नामांकन कराया है। बात अगर बीजेपी और कांग्रेस की करें तो दोनों दलों के उम्मीदवारों ने अपने नामांकन के दौरान अपनी ताकत का एहसास भी कराया है। पौड़ी लोकसभा सीट और टिहरी लोकसभा सीट की करें तो कांग्रेस उम्मीदवारों के नामांकन में उमड़ी भीड़ और निर्दलीय उम्मीदवार बॉबी पंवार के समर्थन में उमड़ी भीड़ ने भाजपा की कुछ हद तक टेंशन है बढ़ाने का काम भी कर दिया है।
पौड़ी सीट पर मुकाबला हो सकता है दिलचस्प
पौड़ी लोकसभा सीट पर बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और पौड़ी लोकसभा सीट से उम्मीदवार अनिल बलूनी के नामांकन में जहां बीजेपी के स्टार प्रचारक को में शामिल स्मृति ईरानी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बीजेपी के प्रदेश चुनाव प्रभारी दुष्यंत गौतम समेत कई बड़े नेता मौजूद रहे। बीजेपी ने अनिल बलूनी के नामांकन में उमड़ी भीड़ से जहां अपनी ताकत का भी एहसास कराया।
वहीं कांग्रेस की ओर से ठीक अगले दिन नामांकन करने वाले गणेश गोदयाल की भीड़ ने सबको चौंका दिया। ठीक उसी मैदान में चुनावी जनसभा गणेश गोदयाल के द्वारा की गई जिस मैदान में अनिल बलूनी की जनसभा नामांकन के बाद हुई थी लेकिन बीजेपी उम्मीदवार अनिल बलूनी के नामांकन में उमड़ी भीड़ के अगले दिन ही गणेश गोदयाल के नामांकन में भी उमड़ी भीड़ ने एहसास कर दिया है की पौड़ी में मुकाबला दिलचस्प हो सकता है।
टिहरी सीट पर राह नहीं आसान
टिहरी लोकसभा सीट पर जिस दिन भाजपा उम्मीदवार माला राजलक्ष्मी शाह के द्वारा नामांकन कराया गया। उसी दिन कांग्रेस उम्मीदवार जोत सिंह गुनसोला के द्वारा भी नामांकन कराया गया लेकिन इस से पहले भाजपा की रैली बड़ी भीड़ के साथ डीएम ऑफिस तक पहुंचती है। अंदाजा लगाया जा रहा था कि भाजपा के साथ बड़ा जन सैलाब है लेकिन कुछ ही मिनट के बाद जब कांग्रेस उम्मीदवार जोत सिंह गुनसोला का जन सैलाब भी डीएम ऑफिस की तरफ बाद तो सब ने यही चर्चा शुरू कर दी कि कांग्रेस भी भीड़ के मामले में बीजेपी से पीछे नहीं है।
बेरोजगार संघ के अध्यक्ष से नेता बने बॉबी पंवार ने जिस दिन नामांकन कराया। जिसके बाद चर्चाएं हो रही थी कि बीजेपी और कांग्रेस से ज्यादा भीड़ तो बॉबी पवार के साथ थी। नामांकन के दौरान उमड़ी भीड़ का अगर अंदाजा लगाया जाए तो बीजेपी, कांग्रेस के साथ ही निर्दलीय उम्मीदवार बॉबी पंवार के साथ मौजूद भीड़ ने दिखा दिया कि बॉबी पवार को भी हल्के में आंकना बीजेपी और कांग्रेस के लिए सही नहीं है। कांग्रेस उम्मीदवार गणेश गोदयाल के नामांकन के साथ जोत सिंह गुनसोला के नामांकन में बड़ी तादाद में उमड़ी भीड़ से कांग्रेस गदगद नजर आ रही है। कांग्रेस का कहना है कि दोनों लोकसभा सीट ही नहीं बल्कि भाजपा को मुंह की खानी पड़ेगी।
बीजेपी 75% मत हासिल करने रखा लक्ष्य
उत्तराखंड में भाजपा के द्वारा 75% मत हासिल करने और हर लोकसभा सीट को पांच लाख से ज्यादा से जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। लेकिन जिस तरीके से भीड़ कांग्रेस उम्मीदवारों के साथ भी नजर आ रही है उससे कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी के द्वारा जो लक्ष्य निर्धारित जीत हासिल करने को लेकर रखा गया है उसे हासिल करना इतना आसान नहीं है।
टिहरी और पौड़ी लोकसभा सीट पर भाजपा के 2019 में जीत के अंतर को देखें तो माला राजलक्ष्मी शाह 3 लाख 586 वोटों से जितने में कामयाब रही थी। माला राज्य लक्ष्मी शाह को 5,65,333 हासिल हुए थे। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार प्रीतम सिंह को 2,64,747 वोट हासिल हुए थे। पौड़ी लोकसभा सीट की बात करें तो तीरथ सिंह रावत 3,02,669 मतों से जीत गए थे। तीरथ सिंह रावत को 5,06980 वोट हासिल हुए थे, तो वहीं कांग्रेस उम्मीदवार मनीष खंडूरी को 2,04,311 वोट हासिल हुए थे। दोनों सीटों पर 2019 की बात करें तो जीत का अंतर 3 लाख से ज्यादा था।
विपक्षी दलों के पास बड़े मुद्दे
इस बार के चुनाव में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के पास दो बड़े मुद्दे दोनों लोकसभा सीटों पर है। पौड़ी लोकसभा सीट पर जहां अंकिता भंडारी हत्याकांड का मामला कांग्रेस और यूकेडी उम्मीदवार के पास है तो वहीं टिहरी लोकसभा सीट पर बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार के द्वारा उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार का वो मुद्दा है जो उन्हें नेता बना गया है।और जिसके कारण 100 के करीब लोग सलाखों के पीछे पहुंच गए है।
उत्तराखंड में भाजपा भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर वोट मांगने का काम कर रही हो लेकिन प्रदेश में कुछ ऐसे ज्वलंत मुद्दे हावी रहे हैं जो सरकार के लिए मुसीबत भी बने हैं। ऐसे में देखना यही होगा कि आखिरकार उत्तराखंड की जनता स्थानीय मुद्दों को भुलाकर क्या वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर विश्वास कर वोट करती है या फिर जिस तरीके का दावा कांग्रेस कर रही है कि कांग्रेस उम्मीदवारों के साथ जन समर्थन अपने आप जुड़ रहा है उसके आधार पर उत्तराखंड की जनता कांग्रेस के पक्ष में भी वोट करती है।
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