# highcourt -एक्शन में हाइकोर्ट-पालिकाध्यक्ष की पावर सीज़, ईओ हुए निलम्बित

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भित्ति मामलों में आने में तब बढ़ते जाने पर हाई कोर्ट एक्शन में आ गया उन्होंने नैनीताल नगर पालिका के द्वारा फ्लैट मैदान में बिना निविदा के झूलों का टेंडर दे दिया जिसके खिलाफ एक ठेकेदार ने याचिका डाली याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एक्शन में आते हुए पालिका अध्यक्ष सचिन नेगी की पावर कोशिश करते हुए जो आलोक उनियाल को निलंबित कर दिया है

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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल फ्लैट मैदान में नियम विरुद्ध लगे झूलों को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल पालिकाध्यक्ष के अधिकार सीज करते हुए अधिशासी अधिकारी आलोक उनियाल को निलंबित करने के निर्देश दिए हैं।

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज न्यायमूर्ति इरशाद हुसैन की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर इन अनियमितताओं की जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही प्रदेश के मुख्य सचिव से भी जांच कर रिपोर्ट दस दिन में कोर्ट में पेश करने को कहा है।

कोर्ट ने अधिशासी अधिकारी को 50 हजार रुपये की राशि याचिकाकर्ता रमेश सजवाण को भुगतान करने के भी निर्देश दिए हैं। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई। कोर्ट के आदेश पर पालिकाध्यक्ष सचिन नेगी व अधिशासी अधिकारी आलोक उनियाल मंगलवार को भी कोर्ट में हाजिर हुए थे।

मामले के अनुसार, फ्लैट में झूलों का टेंडर नगरपालिका नैनीताल ने 1 अक्टूबर से 5 नवंबर तक के लिए देहरादून के रमेश सजवाण को करीब 6.75 लाख रुपये में दिया था। इस दौरान किसन पाल भारद्वाज ने भी आवेदन किया था। जिसे पालिका द्वारा निरस्त कर दिया। पालिका ने यह प्रक्रिया बिना निविदा आमंत्रित किए ही कर दी थी। जिसे किसन भारद्वाज ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

क्या है पूरा मामला ?
इस मामले में 10 अक्टूबर को मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए नगर पालिका नैनीताल को उसी दिन झूले हटाने के निर्देश दिए थे और आज 12 अक्टूबर को कोर्ट के आदेश का पालन करने की रिपोर्ट पेश करने को कहा था। लेकिन फ्लैट से झूलों को 12 अक्टूबर तक भी पूरी तरह नहीं हटाया गया था। जिस पर कोर्ट ने पालिकाध्यक्ष सचिन नेगी व अधिशासी अधिकारी को कोर्ट में तलब किया। साथ ही उन्हें नियमविरुद्ध झूले संचालन करने पर कड़ी फटकार लगाई और उन्हें कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी किया।

हाईकोर्ट ने खेल मैदान में 6 हफ्ते तक व्यवसायिक गतिविधियां करने की अनुमति देने पर गंभीर रुख अपनाते हुए इसका स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में पंजीकृत किया। खंडपीठ ने इस पूरे मामले में वित्तीय अनियमितताएं होने का संज्ञान लिया है। जिसकी उच्च स्तरीय जांच के निर्देश डटे हैं।