कहीं ऐसा तो नहीं भाजपा का शिंदे पर भरोसा ही नहीं इसलिए तो फडणवीस को..
दिल्ली/ मुंबई एसकेटी डॉट कॉम
महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री बनाने के राजनैतिक रणनीतिकारों के अनुमान को भाजपा ने धता बताते हुए नया पैंतरा चल दिया. शिवसेना के बागी को महाराष्ट्र का नाथ बनाकर सत्ता सौंप दी यह निर्णय तो एक बार पचाने लायक माना जा सकता है क्योंकि भाजपा यह दाग भी अपने दामन पर नहीं लगना देना चाहती थी जो है सत्ता के लोग में शिवसेना के दो फाड़ कर दे उसके बाद खुद ही सत्ता में काबिज हो गई .
इसलिए राजनीतिक परिवर्तन करते हुए शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री के पद पर आसीन करा दिया वही प्रेस वार्ता के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने अपने आप को अलग रखते हुए पता में शामिल नहीं होने का एलान किया.
दूसरी ओर भाजपा के आलाकमान का एक फरमान आता है देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के नए उप मुख्यमंत्री होंगे यह पूरे देश के इतिहास में पहली बार होगा कि कोई व्यक्ति जो प्रदेश का दो बार मुख्यमंत्री रहा हूं उसे भारतीय जनता पार्टी
की चाकरी करते हुए जिसे पार्टी का वफादार कार्यकर्ता का नाम दिया जा रहा है डिमोशन करते हुए मुख्यमंत्री पद पर बिठा दिया यह बाद कितना थोपा हुआ और फडणवीस को ना गवारा था उनकी बॉडी लैंग्वेज से ही देखा जा सकता था उप मुख्यमंत्री पद की शपथ जीने के दौरान उनके चेहरे की भाव भंगिमा से यह अब आसानी से पता लगाया जा सकता था कि वह कितने दबाव में हैं भारतीय जनता पार्टी देवेंद्र फडणवीस से कब का हिसाब करना चाहती. थी जो उनसे दबाव में उप मुख्यमंत्री पद शपथ दिला दी.
इस पूरे एपिसोड में ऐसा लग रहा था कि देवेंद्र फडणवीस की सत्ता में वापसी होगी उनके नेतृत्व में हुए चुनाव में पार्टी ने अलग से चुनाव लड़ते हुए भी 112 विधायकों विधानसभा में जोरदार एंट्री की थी महाराष्ट्र में यह भाजपा का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है इससे पहले भाजपा कभी भी के लिए अथवा गठबंधन के साथ इतनी सीटें नहीं जीत पाई है अकेले चुनाव लड़ने के बाद 112 विधायकों के साथ आना देवेंद्र फडणवीस का फेलियर नहीं माना जा सकता है.
देवेंद्र फडणवीस के साथ ऐसा करना भाजपा के हाईकमान में कहीं न कहीं उनके खिलाफ षड्यंत्र ही माना जा सकता है. या भाजपा ने उन्हें नीचा दिखाने के लिए यह कार्य किया हो अथवा भाजपा मुख्यमंत्री के रूप में किसी अपने दूसरे नेता को भी आगे कर सकती थी वह उस नेता का प्रमोशन माना जा सकता था. या ऐसा है कि आलाकमान को देवेंद्र फडणवीस के अलावा किसी अन्य पर भरोसा नहीं रहा वह मैं बागडोर संभालने को आगे कर देते.
यहां ऐसा भी माना जा सकता है कि भाजपा आलाकमान शिव सेना पर भरोसा नहीं कर सकती है चाहे वह बागी ही क्यों ना हो. कहीं बागी शिवसैनिक दोबारा शिवसेना में ना लौट जाए इसलिए इन पर नजर रखने के लिए भी देवेंद्र फडणवीस को आगे किया हो इस मामले में भाजपा आलाकमान ने यह जरूर मंथन किया होगा कि कहीं अगर देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की बागडोर दे दी जाए और बाकी सैनिक दोबारा से शिवसेना की वोट ना चले जाएं उससे सरकार को खतरा ना हो जाए. इसलिए भी आज पानी सत्ता का नेतृत्व करने बागी शिवसेना को ही सत्ता सौंप दी . यहां पर वह शिवसेना के कंधे पर उन्हीं का धनुष रखकर उन्हीं के तीर से उद्धव ठाकरे की सेना पर निशाना साध सकती है
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