फिर से टूटा पाकिस्तान! Balochistan ने आजादी का किया ऐलान, भारत और United Nations से की ये अपील

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Balochistan independence announced

Balochistan independence announced: भारत के सफल ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही पाकिस्तान में खलबली मच गई है। काफी लंबे समय से पाकिस्तान से आजादी की मांग कर रहे बलोच नेताओं को भी अब हिम्मत मिल गई है। बीते दिन बलूच नेताओं ने अपनी आजादी का ऐलान किया। उन्होंने देश का नाम रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान’ रखा है।

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बलूच ने किया आजादी का ऐलान Balochistan independence announced

बलूच कार्यकर्ता मीर यार बलोच ने सोशल मीडिया पर ‘रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान’ नाम से नए देश की घोषणा की है। भारत से दिल्ली में Baloch Embassy खोलने की अपील की है। साथ ही उन्होंने United Nations से भी मान्यता की गुहार लगाई है। और उन्होंने मुद्रा, पासपोर्ट और आधारभूत संस्थानों के लिए फंडिंग की भी इच्छा जताई है।

इस ऐलान के साथ बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने ये दावा किया है कि उन्होंने पाकिस्तान में 71 हमलों का दावा कर आतंकी राष्ट्र बताया। भारते के साथ-साथ क्षेत्रीय ताकतों से भी समर्थन की अपील की है।

मेप और झंडा भी किया साझा

उन्होंने अपने 9 मई को एक्स पर लिखे पोस्ट में कहा, “भारत बलूच दफ्तर और दूतावास को अनुमति दे।” इसके साथ ही स्वतंत्र बलूचिस्तान का मेप(balochistan map) और बलूच झंडा(Balochistan Flag) भी साझा किया। इस ऐलान के बाद बलोचिस्तान की आजादी एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है।

पाकिस्तान पर 71 बड़े हमलों का दावा

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) का ये दावा है कि उन्होंने 11 मई को 51 जगहों पर 71 हमले किए हैं। उन्होंने इन हमलों में खुफिया एजेंसियों, पाकिस्तानी सेना, पुलिस थानों, खनिज परिवहन और प्रमुख हाईवे को टारगेट किया। BLA ने पाकिस्तान को ‘आतंकी निर्यातक राष्ट्र’ बताते हुए कहा कि वो इस्लामाबाद पर भरोसा ना करें। साथ ही कहा कि अब सुलह का कोई सवाल नहीं है।

बलूच कार्यकर्ताओं ने भारत से बलूचिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर समर्थन देने की अपील की है। बता दें कि ये घोषणा अभी फिलहाल प्रतीकात्मक है। और इसे किसी देश या संगठन की औपचारिक मान्यता प्राप्त नहीं हुई है। भारत की तरफ से भी अब तक इस घोषणा पर कोई ऑफिशियल रिएक्शन नहीं आया है। साथ ही पाकिस्तान ने भी इस पर चुप्पी साधी हुई है।

बलूचिस्तान में मानवाधिकार का हनन

बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा कोई नया नहीं है। कई दशकों से ये विद्रोह चल रहा है। 1948 में जबरन विलय के बाद से ही यहां बगावत की चिंगारी सुलगती रही है। समय-समय पर स्थानीय लोगों ने पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाई, जिसका जवाब सेना ने ऑपरेशन और कार्रवाई से दिया।

पिछले कई सालों से मानवाधिकार संगठनों ने यहां जबरन गायब किए गए लोगों, फर्जी एनकाउंटर और आम लोगों पर अत्याचार की रिपोर्टें जारी की हैं। हाल ही में बलूच नेता तारिक बलोच की बेरहमी से हत्या ने फिर से वहां के हालात पर सवाल खड़े कर दिए हैं।