रामनगर- कांग्रेस के दो फाड़ का लाभ मिलेगा भाजपा को!
रामनगर हरीश रावत वर्सेज रणजीत रावत। दो रावत, दोनों कद्दावर, एक पार्टी, एक झंडा, एक विचारधारा और आखिर में नतीजा ‘ये तेरा ये मेरा।” कांग्रेस के ये दोनों वरिष्ठ नेता इस समय निकाय चुनाव में दो चेहरों के सारथी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत मी अकरम के और पूर्व विधायक रणजीत रावत भुवन पांडे के। चुनावी कुरुक्षेत्र वही पुरानी हाट सीट रामनगर। अकरम भुवन पालिका अध्यक्ष के लिए मैदान में हैं। कांग्रेस ने यहां से किसी को टिकट नहीं दिया। सीट ओपन रखी। हरदा ने अपने पसंदीदा अकरम के लिए टिकट की पैरवी की थी तो रणजीत ने भुवन के लिए। अकरम पुराने कांग्रेसी हैं। पूर्व में चेयरमैन रह चुके हैं। भुवन पेशे से नगरपालिका कर्मी रहे और विचारधारा से कांग्रेसी। अब दोनों प्रत्याशियों के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ दिग्गजों ने मोचों संभाला है और इस मोर्चे में कांग्रेस एक बार फिर दोफाड़ है। दो ध्रुवों में बंटी पार्टी के कैडर का एक हिस्सा हरीश रावत को मानता है तो दूसरा रणजीत को। जनादेश दो प्रत्याशियों के बीच प्रतिद्वंद्विता का पटाक्षेप तो करेगा, मगर सवाल यह है कि कांग्रेस का जो धागा टूटा है, वह जुड़ेगा कैसे। सबसे खास बात यह है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा रणजीत रावत के साथ खड़े हैं। जबकि राजनीति से इतर हरदा और करन माहरा के रिश्ते की डोर से पूरा उत्तराखंड वाकिफ है। करन के भुवन का प्रचार करने, साथ में रणजीत के रहने और उधर, हरदा का हाथ अकरम के कंधे पर आने से निकाय की लड़ाई रामनगर में सबसे ज्यादा दिलचस्प मोड़ पर है। थोड़ा पीछे बलते हैं। जब हरीश रावत मुख्यमंत्री थे. तब पूर्व विधायक रणजीत रावत व उनके बीच अच्छे राजनीतिक संबंध रहे। धीरे-धीरे रिश्तों में राजनीतिक कड़वाहट बढ़ती गई और कार्यकर्ताओं के दो गुट बन गए। 2022 के विधानसभा चुनाव में इस गुटबाजी का असर दिखा। रणजीत के कड़े विरोध के बाद हरीश रावत को लालकुआं से चुनाव लड़ना पड़ा था। जबकि, रणजीत को चुनाव लड़ने सल्ट भेजा गया। रामनगर से पूर्व सांसद महेंद्र पाल मैदान में उतरे। इस इंद्ध का परिणाम यह रहा कि तीनों ही नेता अपनी-अपनी सीट हार गए। निकाय चुनाव में इसी प्रतिद्वंद्विता के चलते कांग्रेस ने पहली बार मो अकरम व भुवन में से किसी को टिकट नही दिया। सोमवार की रामनगर में मी अकरम के लिए पूर्व सीएम हरीश रावत रोड शो करने मैदान में उत्तरे। दो गुटों के इन तेवरों से पार्टी का कैडर वोट असमंजस में है। कार्यकर्ता घंटे हैं। हरदा के समर्थन में खड़े कांग्रेस के सिपाही अकरम का बूथ मैनेजमेंट संभालेंगे तो रणजीत का समर्थन करने वाले भुवन का। इस गुटबाजी से उपजा असमंजस किसकी उम्मीदों को पटकेगा, यह मतगणना के बाद पता चलेगा। इस मुद्दे पर हरदा पत्रकारों के सवालों पर चुप्पी साध गए। उनका कहना था कि सर्वसम्मति से सोट ओपन रखी गई है। जिस नेता को जो प्रत्याशी पंसद है,
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