उत्तराखंड में डरा रहे सुलगते जंगल, पौड़ी में भी वायुसेना संभालेगी मोर्चा, क्लाउड सीडिंग से बारिश कराने की तैयारी

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उत्तराखंड में जंगलों की आग बेकाबू होती जा रही है। जगह-जगह सुलग रहे जंगल वनकर्मियों की परीक्षा ले रहे हैं। ये आग रिहायशी क्षेत्रों में पहुंच गई है। जिससे संकट और बढ़ गया है। मुख्य सचिव ने जानकारी देते हुए बताया कि बढ़ती वनाग्नि की घटाओं को देखते हुए उत्तराखंड में भी क्लाउड सीडिंग के जरिए बारिश कराने की कोशिश की जा रही है।

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वरिष्ठ अधिकारियों को दी हर जिले की जिम्मेदारी
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ी हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी वनाग्नि की घटनाओं को लेकर बैठक की थी। सीएम ने बैठक में जो निर्देश दिए थे उनके अनुपालन के लिए वन विभाग को सूचित कर दिया गया है। वन विभाग ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को हर जिले की जिम्मेदारी दे दी है।

पौड़ी में भी वायुसेना संभालेगी मोर्चा
मुख्य सचिव ने कहा पौडी गढ़वाल को सबसे ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए डीएम पौड़ी आशीष चौहान ने वायुसेना से भी बात की है। IAF के हेलिकॉप्टर अब श्रीनगर से पानी ले जाकर जंगल में लगी आग पर छिड़काव किया जाएगा। ताकि वनाग्नि की घटनाओं पर काबू पाया जा सके।

उत्तराखंड में क्लाउड सीडिंग की तैयारी
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने जानकारी देते हुए बताया कि हम एक नया प्रोजेक्ट ला रहे हैं। आईआईटी कानपुर ने क्लाउड सीडिंग का प्रयोग किया है। हम अब उत्तराखंड में भी क्लाउड सीडिंग के जरिए बारिश कराने की कोशिश कर रहे हैं। ताकि जंगलों की आग पर काबू पाया जा सके।

सीएम धामी ने दिए पराली न जलाने के निर्देश
राधा रतूड़ी ने बताया कि हमने इसे लेकर मुख्यमंत्री से बात की है। उन्होंने पौड़ी से एक पायलट प्रोजेक्ट के लिए सहमति जताई है। राधा रतूड़ी ने बताया कि सीएम धामी ने पराली न जलाने के निर्देश भी दिए हैं। इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही शहरी इलाकों में भी कूड़ा जलाने पर प्रतिबंध है।

Cloud seeding क्या है ?
क्लाउड सीडिंग का मतलब है आर्टिफिशियल रेन। क्लाउड सीडिंग की प्रोसेस में विमानों की मदद से सूखी बर्फ या सिल्वर आयोडाइट एरोसोल का बादलों के ऊपरी हिस्से में छिड़काव किया जाता है। इससे छोटे-छोटे कण हवा से नमी सोखते हैं। फिर कान्डेन्सेशन की प्रोसेस होती है। इस वजह से बादलों में पानी का मास इनक्रिज हो जाता है। जिसके बाद पानी की भारी बूँदें बारिश करती हैं। इस मेथर्ड से बरसात का रेट हर साल लगभग 10 -30% इंक्रिज हो जाता है।