आप भी कमा सकते हैं पिरूल से रूपए, जानें क्या है ‘पिरूल लाओ-पैसे पाओ’ मिशन ?

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पिरूल (1)

पहाड़ों पर काफी मात्रा में चीड़ के पेड़ होते हैं। चीड़ की पत्तियां (पिरूल) पहाड़ों पर एक ओर जहां फिसलन बढ़ा देती हैं तो वहीं दूसरी ओर जंगलों में आग लगने का एक बड़ा कारण भी ये हैं। सूबे के मुखिया सीएम धामी ने आज कहा कि सरकार ‘पिरूल लाओ-पैसे पाओ’ मिशन पर काम कर रही है। जिसके तहत पिरूल लाने पर आपको पैसे मिलेंगे।

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क्या है ‘पिरूल लाओ-पैसे पाओ’ मिशन ?

‘पिरूल लाओ-पैसे पाओ’ मिशन ते तहत ग्रामीणों को जंगलों से पिरूल इकट्ठा कर के लाना होगा। जिसके उन्हें रूपए मिलेंगे। सीएम धामी ने बताया कि इस मिशन के तहत जंगल की आग को कम करने के उद्देश्य से पिरूल कलेक्शन सेंटर पर 50 रूपए किलो की दर से पिरूल खरीदे जाएंगे। बता दें कि इस मिशन का संचालन पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा किया जाएगा। इसके लिए 50 करोड़ का कार्पस फंड पृथक रूप से रखा जाएगा।

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पिरूल ——

आप भी कमा सकते हैं पिरूल से रूपए

आप भी जंगलों में आग लगने के सबसे बड़े कारण पिरूल से पैसे कमा सकते हैं। हालांकि पहाड़ों पर पिरूल को पहले से ही इकट्ठा किया जाता है। लेकिन ये पिरूल गौशाला में इस्तेमाल के लिए उपयोग में लाया जाता है। लेकिन अब इस से आप पैसे कमा सकते हैं। पिरूल लाओ-पैसे पाओ’ मिशन के तहत आपको पिरूल को इकट्ठा कर पिरूल कलेक्शन सेंटर तक ले जाना है। इसके आपको प्रति किलो 50 रूपए मिलेंगे। आपको बता दें कि प्रदेश में साल 2018 में पिरूल नीति लागू की जा चुकी है।

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पिरूल लाती महिलाएं——-

प्रोजेक्ट पिरूल भी हुआ था शुरू

आपको बता दें कि इस से पहले भी पिरूल को लेकर एक योजना शुरू की गई थी। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में प्रोजेक्ट पिरूल शुरू किया गया था। इस योजना के तहत पिरूल से बिजली बनाई गई थी। बता दें कि कुछ समय के लिए पिरूल से बिजली का उत्पादन भी हुआ था। लेकिन फिर ये योजना ठीक से चल नहीं पाई।