महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला बिल है’, विधेयक पर मोदी सरकार का साथ देकर AAP ने ऐसा क्यों कहा?

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आम आदमी पार्टी ने महिला आरक्षण विधेयक को महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला बिल करार दिया है। आतिशी ने कहा कि यह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला विधेयक है। इसके अलावा दिल्ली की मंत्री ने कहा कि आम आदमी पार्टी सैद्धांतिक रूप से महिला आरक्षण का समर्थन करती है। अगर ऐसा कोई बिल आता है तो हम उसका स्वागत करेंगे।

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एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आतिशी ने कहा कि भाजपा को महिलाओं की भलाई और कल्याण में कोई दिलचस्पी नहीं है। बिल के प्रावधानों को करीब से पढ़ने पर पता चलता है कि यह ‘महिला बेवकूफ बनाओ’ बिल है। विधेयक के अनुसार, परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद आरक्षण लागू होगा और 15 वर्षों तक जारी रहेगा। प्रत्येक परिसीमन प्रक्रिया के बाद महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों को घुमाया जाएगा।

दिल्ली की मंत्री आतिशी ने कहा, “परिसीमन और जनगणना के प्रावधान क्यों शामिल किए गए हैं? इसका मतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण लागू नहीं किया जाएगा।” उन्होंने कहा कि हम मांग करते हैं कि परिसीमन और जनगणना के प्रावधानों को खत्म किया जाए और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए महिला आरक्षण लागू किया जाए।

आतिशी ने कहा कि लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत सीमित है, इसलिए हम बिल का स्वागत और समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा, नगर पालिका या पंचायतों में पहले से ही आरक्षण है। इसके बावजूद एक आम महिला के जीवन में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया। आतिशी ने आगे कहा कि हम चाहेंगे कि सरकारी नौकरियों में भी सरकार आरक्षण दे। इसे संसद में पेश किया जाना चाहिए।

न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में आतिशी ने कहा कि सरकार से हमारा अनुरोध केवल निर्वाचित प्रतिनिधियों को आरक्षण देने से आगे बढ़ने का होगा। हम चाहते हैं कि महिलाओं के लिए सभी सरकारी नौकरियों में 50 प्रतिशत आरक्षण होना चाहिए। महिला आरक्षण विधेयक को सोमवार को कैबिनेट से मंजूरी मिली थी। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि सरकार लोकसभा और राज्य विधानसभा में महिलाओं के लिए सभी सीटों में से एक तिहाई आरक्षित करने के लिए विधेयक ला रही है।

संसद की नई इमारत में अपना पहला भाषण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम लाने का फैसला किया है। पीएम मोदी ने कहा कि “महिला आरक्षण बिल पर काफी देर तक चर्चा हुई। अटल बिहारी वाजपेई के शासनकाल में कई बार महिला आरक्षण बिल पेश किया गया लेकिन बिल को पास कराने के लिए पर्याप्त बहुमत नहीं था और इस वजह से यह सपना अधूरा रह गया।