ब्रेकिंग न्याय विभाग का यह कैसा अन्याय ! उत्तराखंड उच्च न्यायालय में 40 अधिकारियों की बिना आवेदन की हुई नियुक्ति

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विगत कार्यकाल सभी 90 अधिकारियो की नियुक्ति रद्द करने के बाद 12 घंटे बाद नए 40 अधिकारियों की हुई नियुक्ति।

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सभी बड़े रसूखदार नेताओं, सेवानिवृत्त न्यायधीशों के रिशेतेदारो को मिली नियुक्ति।

बिना आवेदन एवं जिला समिति के माध्यम के बिना नियुक्ति के खिलाफ मुख्यमंत्री पोर्टल पर हल्द्वानी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता ने की शिकायत

नैनीताल skt.com

उत्तराखंड उच्च न्यायालय में विभिन्न न्यायाधिकारियों को न्याय विभाग द्वारा 19 अगस्त को अपनी संविधान प्रदत्त शक्ति के तहत कार्यकाल समाप्त करने के बाद 12 घंटे में एक बार फिर 40 न्याय अधिकारियों की नियुक्ति कर दी गई है।

न्याय विभाग का पत्र जिसमें सभी अधिकारियों की नियुक्ति समाप्त करने का आदेश है।

इन नियुक्तियां में बड़े रसूखदार नेताओं अधिकारियों और सेवानिवृत्ति जजों के सगे रिश्तेदारों को जगह दी गई है बिना नियुक्ति प्रक्रिया के तथा बिना आवेदन प्रक्रिया के अपने जाने इस तरह की नियुक्तियां की शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर कर दी गई है ।

नियुक्त किए गए न्याय अधिकारियों की सूची

हल्द्वानी निवासी एक सामाजिक कार्यकर्ता ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की है कि इस तरह की नियुक्तियों में विभाग की ओर से धांधली की गई है। इसमें आरोप लगाते हुए कहा गया है कि बिना आवेदन प्रक्रिया के तथा जिला स्तर के शासकीय अधिवक्ता के लिए नियुक्त करने वाली समिति के संस्तुति नियुक्तियां की गई है जो की गैर संवैधानिक है।

शिकायतकर्ता ने यह भी कहा है कि जिस तरह से विधानसभा में बैक डोर से नियुक्तियां दी गई है इस तरह से इन नियुक्तियों को भी बैक डोर से ही माना जाएगा क्योंकि इसके नियुक्ति प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है।

सीएम पोर्टल पर हल्द्वानी के सामाजिक कार्यकर्ता की ओर से की गई शिकायत

सिर्फ बड़े रसूखदार और अधिकारियों और रिटायर्ड जजों के रिश्तेदारों को ही नियुक्ति दी गई है तो इससे यह संदेश जा रहा है कि आम लोगों में से जो कई वर्षों से वकालत कर रहे हैं और इसकी काबिलियत रखते हैं उन्हें नियुक्ति कब मिलेगी। सामाजिक कार्यकर्ता ने यह भी आरोप लगाया

कि एक न्याय अधिकारी को सभी भत्तों को मिलाकर दो से तीन लाख रुपए मिलते हैं ।जबकि हजारों की संख्या में शिक्षित एवं योग्य अधिवक्ता सारी जिंदगी प्रैक्टिस करते हुए रह जाते हैं उत्तराखंड बनने के बाद जिस तरह से बड़े राजनेताओं अधिकारियों और न्याय से जुड़े हुए लोगों ने अपने खास चेहतों को सरकार की नौकरी दी है उसे आम युवाओं में आक्रोश व्याप्त है