हल्द्वानी काठगोदाम थाने के पास हैडाखान के ग्रामीणों ने केंद्रीय रक्षा मंत्री अजय भट्ट का किया घेराव

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हल्द्वानी।यहां केद्रीय रक्षा राज्य मंत्री और सांसद अजय भट्ट का हैड़ाखान के ग्रामीणों ने काठगोदाम थाने के पास घेराव कर दिया है। सांसद अजय भट्ट को आज 10:15 बजे हैड़ाखान मोटरमार्ग का निरीक्षण करने जाना था उससे पहले ही ग्रामीणों ने काठगोदाम वैरियर के पास काफिला रोक दिया और अपनी आपबीती सुनाई। काठगोदाम से दो किमी आगे हैड़ाखान रोड बंद होने की वजह से 15 नवंबर से करीब 200 गांव के लोग परेशान हैं।

इस सड़क का इस्तेमाल हैड़ाखान, ओखलकांडा से लेकर रीठा साहिब तक के लोग करते हैं। हैड़ाखान और आसपास गावों के लोग हैड़ाखान मोटर मार्ग टूट जाने से काफी परेशान हैं सड़क टूटने से 120 गांव प्रभावित हो चुके हैं, लोगों को मजबूरन पहाड़ पर पैदल जाना पड़ रहा है।

ऐसे में आज आक्रोशित ग्रामीणों ने केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का घेराव कर दिया और उनसे सड़क को ठीक करने के साथ ही तब तक के लिए वैकल्पिक मार्ग को खोलने की बात कही है। वहीं केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने ग्रामीणों को समझाते हुए कहां उनके द्वारा डीएम नैनीताल के साथ ही आर्मी के उच्च अधिकारियों से भी रोड को ठीक करने के संबंध में बात की है।

अजय भट्ट ने ग्रामीणों से कहा किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं होने दी जाएगी, उनकी समस्या का वैकल्पिक मार्ग को खोल कर जल्द हल किया जाएगा,और हैड़ाखान मोटर मार्ग को किस तरह से ठीक किया जा सकता है, इस पर भी तेजी से काम किया जाएगा।

सड़क को जल्द खोलना मुश्किल, स्थाई ट्रीटमेंट की जरूरत –
डीएम धीराज सिंह गब्र्याल के अनुसार हैड़ाखान में भूस्खलन वाली पहाड़ी का भूगर्भीय अध्ययन करने पर पता चला कि सड़क को जल्द खोलना मुश्किल है। यहां स्थायी ट्रीटमेंट की जरूरत है। वहीं, ईई लोनिवि प्रांतीय खंड नैनीताल दीपक गुप्ता का कहना है कि प्रयास है कि टीएचडीसी के एक्सपर्ट से पहाड़ी का सर्वे कराया जाए। टिहरी डैम इसी संस्थान ने बनाया था।

शुक्रवार सुबह धरने पर जुटे ग्रामीणों ने कहा कि सड़क बंद होने की वजह से उनके समक्ष संकट की स्थिति बन चुकी है। हैड़ाखान रोड का कई बार स्थायी ट्रीटमेंट करने की मांग के बावजूद सुध नहीं ली गई। जिस वजह से अब आपदा की स्थिति बन चुकी है। शुक्रवार को ग्रामीणो का सब्र जवाब दे गया। दस किमी पैदल चलने के बाद वह काठगोदाम पहुंच गए। जिसके बाद बैरियर पर धरना शुरू कर दिया। आक्रोशित ग्रामीणों का साफ कहना था कि प्रशासन व जिम्मेदार अधिकारी उनकी सुध नहीं ले रहे। मजबूरी में सारा काम छोड़ उन्हें धरना देना पड़ रहा है।

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