उत्तराखण्डियत अभियान-हज़ारों लोगों ने उठाया लुफ्त, गीत संगीत से झूम उठे युवा दीपक के बढते पग( देखें कार्यक्रम की झलकियां वीडियो)
हल्द्वानी एसकेटी डॉट कॉम
उत्तराखंडी अभियान के तहत हल्द्वानी में शुरू हुए एक कार्यक्रम में उत्तराखंडी लोक गीत संगीत पर हजारों युवाओं ने झूम कर इसका आनंद उठाया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद उत्तराखंड अभियान की सोच रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंडीयत को आगे की पीढ़ी को सौंपने के लिए हमें इस अभियान में वह सभी चीजें सामने रखनी होंगी जिन्हें हम भुलाते जा रहे हैं।
उत्तराखंडीयत उसका नाम है जो कि उत्तराखंड के हर एक व्यक्ति के लिए जो इतने वर्षों के बाद भी अभी अपने लिए आवास रोजगार और विकास से वंचित है। इससे पहले कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कांग्रेस नेता यशपाल आर्य गोविंद सिंह कुंजवाल हरीश दुर्गापाल विजय सिजवाली खजान पांडे प्रयाग भट्ट संजीव आर्य के साथ संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
अपने संबोधन भाषण में हरीश रावत ने उत्तराखंड के लिए इस कार्यक्रम को आयोजन करने के लिए कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बलुटिया और उनके इस संघर्ष की प्रेरणा के लिए दीपक की पत्नी गीतिका बलुटिया की प्रशंसा की। इसी के साथ उन्होंने कार्यक्रम की मुख्य गायिका माया उपाध्याय और कार्यक्रम के संयोजक के रूप में रितेश जोशी को भी धन्यवाद दिया।
कांग्रेस नेता यश पाल आर्य ने कहा कि हमें उत्तराखंडी यत को आगे बढ़ाने के लिए अपने सुरवसे गांव की उन सभी महत्वपूर्ण बोली भाषा खानपान संस्कृति को अपनी आगामी पीढ़ी को इससे मिलाएं रखना है ताकि संस्कृति आज के आधुनिक युग में पीछे न छूट जाए। गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि उत्तराखंड को आगे बढ़ाने के लिए वरिष्ठ नेता हरीश रावत 73 वर्ष होने के बावजूद इसे लगातार आगे बढ़ाने की पैरवी कर रहे हैं जिससे युवाओं को सीख लेनी चाहिए कि उत्तराखदयित यतको किसी कीमत पर पीछे नहीं छोड़ना है।
कार्यक्रम में सभी का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम के आयोजक प्रदेश प्रवक्ता दीपक बलुटिया ने कहा कि उत्तराखंड यत के सभी विधाओं को युवाओं की ओर ले जाने का यह प्रयास भर है हरीश रावत जी की प्रेरणा और माया उपाध्याय के सहयोग से वह अपने सहयोगियों की मदद से यह कार्यक्रम कर पाए हैं। आज की युवा पीढ़ी को अपने सभी रीति-रिवाजों विधान और खान पान रहन सहन को बचाए रखना है।
माया उपाध्याय द्वारा गाए गए गीतों तथा नंदा तू डैनी है जाये हाई ककड़ी चीले मा नूर पीसी सिलेमा ओ माया तू बबसि रछे मेरा दिल ,मां, जैसे गीतों पर युवा तथा बुजुर्ग सभी थिरकने लगे। कार्यक्रम में उम्मीद से अधिक भीड़ उमड़ने से कुर्सियां कम पड़ गई जिसके बाद पंडाल का आकार बढ़ाना पड़ा। उत्तराखंडयत को को समझने और इसे समृद्ध करने के लिए उमड़ी भीड़ यह साबित कर रही है कि आने वाली पीढ़ी अपनी बोली भाषा और संस्कृति को भी संरक्षण करने के लिए तैयार है।
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