समाजसेवा का जज्बा लाया राजनीति में, आज दिग्गजों में शामिल है नाम, BJP ने अजय भट्ट को फिर बनाया उम्मीदवार

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नैनीताल-उधम सिंह नगर लोकसभा सीट से एक बार फिर बीजेपी ने अजय भट्ट को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा हाईकमान ने अजय भट्ट पर फिर भरोसा जताया है। भाजपा के प्रत्याशी के रूप में सांसद अजय भट्ट पर पार्टी ने ऐसे ही दोबारा भरोसा नहीं जताया है। उनके क्षेत्र में सतत सक्रिय रहने और क्षेत्र की कई समय से लंबित समस्याओं के समाधान करने के कारण उन पर भरोसा जताया गया है।

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स्थानीय जनता से निकटता के कारण फिर मिला टिकट
सांसद अजय भट्ट पर पार्टी के दोबारा भरोसा जताने के पीछे का सबसे बड़ा कारण ये है कि अत्यंत महत्त्वपूर्ण पद पर रहने के बाद भी अजय भट्ट स्थानीय जनता के हमेशा निकट रहे। इसके साथ ही क्षेत्र में सतत सक्रिय रहने और दशकों से लंबित समस्याओं का समाधान करवाने के कारण उन पर पार्टी ने दोबारा भरोसा किया है। इसके साथ ही अजय भट्ट हमेशा क्षेत्र की समस्याओं के लिए मुखर रहते हैं।

क्षेत्र के लिए करवाए महत्वपूर्ण कार्य
पार्टी ने अजय भट्ट पर दोबारा दांव खेला है इसके पीछे की एक वजह ये है कि उन्होंने अपने क्षेत्र के लिए कई ऐसे महत्वपूर्ण कार्य किए हैं जिस कारण जनता उनसे खुश है। जैसे क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण जमरानी बांध का निर्माण का कार्य दशकों से लंबित था। लेकिव भट्ट इसके लिए वित्तीय व अन्य स्वीकृति लेने में सफल रहे और इस वित्तिय वर्ष में ही इसका काम भी शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने प्रोजेक्ट काठगोदाम नैनीताल रोपवे, हल्द्वानी नैनीताल मार्ग को डबल लेन बनवाने, रामगढ़ में रवींद्रनाथ टैगोर के विश्व भारती विवि के कैंपस की स्थापना करवाने जैसे बेहद महत्वपूर्ण काम करवाएं हैं।

जमरानी बांध का उठाया था मुद्दा
आपको बता दें कि अजय भट्ट ने बतौर सांसद लोकसभा में पहला सवाल ही जमरानी बांध का उठाया था। इसके साथ ही उन्होंने रोपवे, बलियानला सहित कई मुद्दों को लेकर सवाल उठाए और उनका निदान भी करवाया है। अपने गहन अध्ययन के साथ ही व्यवहार के चलते वो पहले भी दो बार सासंद घोषित किए गए।

कभी बेची चाय और आज बन गए दिग्गज नेता
अजय भट्ट का प्रारंभिक जीवन आसान नहीं था। कभी उन्होंने चाय बेची लेकिन आज अपनी मेहनत के दम पर वो उत्तराखंड के साथ ही देश के दिग्गज नेताओं में शुमार है। अजय भट्ट का जन्म अल्मोड़ा जिले के रानीखेत में हुआ। बचपन में ही उनके पिता का निधन हो गया। जिस कारण उन पर पारिवारिक जिम्मेदारी आ गई। घर चलाने के लिए कभी उन्होंने चाय बेची तो कभी सब्जी बेची। लेकिन अपने जीवन में हार नहीं मानी। उनकी समाजसेवा का जज्बा उन्हें राजनीति में ले आया।

जब सीएम बनते-बनते रह गए थे भट्ट
साल 1985 में वे भाजयुमो से जुड़े और उत्तराखंड राज्य आंदोलन में भी सक्रिय रहे। इसके बाद 1996 में वो विधायक बने और 1996 से 2007 तक वे विधायक रहे। इसके बाद वो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने इसके साथ ही नेत प्रतिपक्ष भी रहे। साल 2017 में उनके सीएम बनने की पूरी संभावना थी लेकिन तभी वो चुनाव हार गए और इस से चूक गए।

लेकिन उनकी संगठन में सक्रियता और जनता पर पकड़ को देखते हुए पार्टी ने उन्हें एक और मौका दिया और साल 2019 में लोकसभा का टिकट दिया। अजय भट्ट ने दिग्गज नेता हरीश रावत को ना सिर्फ हराया बल्कि रिकॉर्ड 339096 मतों से हराया और सांसद बने। जिसके बाद सात जुलाई 2021 को उन्हें पर्यटन और रक्षा राज्य मंत्री का दायित्व दिया गया। अब एक बार फिर से उन्हें सांसद का टिकट दिया गया है।