उत्तराखंड का ऐसा ताल जहां हर पूनम की रात नहाने आती हैं परियां, यहां की खूबसूरती बना देगी आपको दिवाना
आप सभी ने बचपन में परियों की कहानियां तो खूब सुनी होंगी लेकिन अगर आपको बताया जाए कि उत्तराखंड में एक ऐसा ताल है जहां हर पूनम की रात परियां नहाने आती हैं तो क्या आप विश्वास करेंगे। इस ताल और इसके आस-पास की खूबसूरती आपका मन मोह लेगी। ये ताल और यहां तक पहुंचने का सफर रोमांच और रहस्यों से भरा हुआ है।
रोमांच और रहस्यों से भरा है परीताल (Paritaal)
उत्तराखंड के नैनीताल में एक ऐसा ताल है जहां आज भी हर पूर्णिमा की रात परियां नहाने आती हैं। नैनीताल से 25 किलोमीटर की दूरी पर चाफी नाम के गांव के पास परीताल स्थित है। रहस्य और रोमांच से भरा ये ताल आज भी मानवीय हस्तक्षेप से बचा हुआ है। जिस वजह से इसकी सुंदरता अभी तक बरकरार है।
परीताल तक पहुंचने का रास्ता काफी रोमांच भरा है। इसके साथ ही रहस्यों से भी भरा हुआ है। परीताल की गहराई का पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है। बता दें कि इस ताल के आसपास की चट्टानें काली हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि इन चट्टानों में शिलाजीत मिलता है जिस वजह से इनका रंग काला दिखाई देता है।
यहां हर पूनम की रात नहाने आती हैं परियां
हम में से कई लोग परियों को एक सुंदर मानव कलपना मानते हैं। लेकिन इतिहास और लोककथाएँ इनके बारे में एक अलग ही कहानी बयां करती हैं। लोककथाओं में ये परियां मनुष्य जैसी ही दिखने वाली जादुई जीव मानी जाती हैं। ये हरी-भरी खूबसूरत जगहों पर रहना पसंद करती हैं तभी शायद परीताल इन परियों को काफी लुभाता है। स्थानीय लोग बताते हैं की इस परिताल में गहरी हरी आंखों वाली सुंदर-सुंदर परियां हर पूनम की रात नहाने आती हैं। कई स्थानीय लोग परिताल में से परियों को निकलते हुए देखने का दावा भी करते हैं।
देव परियों का माना जाता है स्थान
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर कई लोगों ने निकलते हुए देखा था इसलिए ही इसका नाम परीताल पड़ गया। इसके साथ ही इसे परियों की झील भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां पर देव परियां स्नान करने आती हैं। इसलिए स्थानीय लोग यहां नहाने करने से परहेज करते हैं। स्थानीय लोग इस ताल को पवित्र मानते हैं।
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