बनभूलपुरा के लोगों ने राष्ट्रपति से लगाई गुहार

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जमिअत उलेमा-ए- उत्तराखण्ड के द्वारा तहसीलदार को सौपा ज्ञापन हल्द्वानी एसडीएम कोर्ट मे दिया है, बनभूलपुरा हल्द्वानी जनपद नैनीताल में हाईकोर्ट के आदेश पर 50000 मानवीय आबादी के लगभग 4500 पक्के एवं कच्चे मकानों को ध्वस्त करने के आदेश दिए हैं

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हाईकोर्ट उत्तराखण्ड का आदेश रेलवे भूमि से अतिक्रमण मुक्ति करने में बिना विकल्प के चार पांच हजार मकानों को तोड़ने का आदेश दिया है

बनभूलपुरा हल्द्वानी के सभी लोगों का कहना है कि, ला नं 16, 17, 18 बस्तियां ब्रिटिश शासन से पूर्व की बसी हुई हैं यानि हल्द्वानी नगर की शुरूआत उपरोक्त बस्तियों से ही हुई है। और हमारे वहां सरकारी योजना के तहत स्कूलों अस्पतालों, बैंको, प्रधानमंत्री योजना के तहत सैकड़ों पक्के मकान, बिजली, पीने के पानी के कनेक्शन, पक्के मार्ग व कई सरकारी सस्ते गल्ले की दुकाने हैं

परिवार को बेदखल करने उनके वर्षों पुराने घरों को एवं सरकारी योजना के तहत स्कूलों अस्पतालों, बैंको, प्रधानमंत्री योजना के तहत सैकड़ों पक्के मकान, बिजली, पीने के पानी के कनेक्शन, पक्के मार्ग व कई सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानें और बहुत से उपक्रमों को 10 जनवरी 2023 को ध्वस्त कर दिया जाएगा। बिना किसी विकल्प के मानवीय आधार को नजर अंदाज करके जो विश्व का सबसे बडा मानवधिकार संरक्षण एवं समानता के उद्देश्यों के सिद्धान्तों का समावेशी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का शर्मनाक उल्लंघन होगा मामले में महामहिम राष्ट्रपति महोदया से गुजारिश है कि दखल दे कर मानवाधिकार की हिफाजत में माननीय सुप्रीमकोर्ट को निर्देशित विकल्पों के तलाश के बाद ही

हल निकाला जाए। बनभूलपुरा, इन्दिरानगर, ला नं 16, 17, 18 नई बस्ती नगर हल्द्वानी जिला नैनीताल उत्तराखण्ड सभी बस्तियां ब्रिटिश शासन से पूर्व की बसी हुई हैं यानि हल्द्वानी नगर की शुरूआत उपरोक्त बस्तियों से ही हुई है।

आज उपरोक्त बस्तियां वैश्विक मानवाधिकार समानता संरक्षण कानूनों के महत्वहीनता से उजाड़ने को तत्पर है उत्तराखण्ड शासन माननीय हाई कोर्ट को गुमराह कर जबकि उत्तराखण्ड सरकार अपने गैर कानूनी कृतज्ञों को छिपाकर जिसमें रेलवे ने मनमाना सीमाकन बिना किसी आधार के ध्वस्त करने के आदेश पारित कर दिये।

अपने ही नागरिकों को बलपूर्वक बेदखल करने पर तत्पर क्यों? जबकि दूसरे देशों के शरणार्थियों को भी हमारा देश शरण देता है। न्यायालय के फेसले को जल्द से जल्द लागू कर अपने ही नागरिकों को उजाड़ने के तैयारी में लगी है। नयायालय का निर्णय सर आंखों पर है। अतिक्रमण को हटाने के लिये सरकार करोड़ों का बजट खर्च करने को तत्पर है लेकिन इनको बसाने के लिये सरकार का ऐसा कोई महत्वपूर्ण निर्णय अभी तक दिखाई नहीं दिया है।

बनभूलपुरा क्षेत्र में कलयाणकारी राज्य का दायित्व और जनता का अधिकार को भुलाकर बनी बनाई व्यवस्था जहां शिक्षा स्वास्थ्य नाम की हैं खेलों के मैदान नादारद हैं सड़कें टूटी हैं गंदगी भी मलिन बस्ती की तरह ही है और मात्र 100 मीटर की दूरी पर भारी मात्रा में कूडा जमा करने वाला ट्रचिंग ग्राउण्ड भी बना है जहां आये दिन आग लगती रहती है जिसके धुंए और बदबू से सांस लेना भी दूभर है ऐसी व्यवस्था में भी उपरोक्त जनता बेबसी में शान्ति से निवास करने को मजबूर है।

ब्रिटिश शासन के समय से निवास करने वालों के पास नगर पालिका द्वारा दिये गये पट्टे. फ्री होल्ड, रजिस्ट्री के कागजात तथा नगर पालिका द्वारा वसूला गया टैक्स की 60-70 साल पुरानी रसीदें, सीवर कनैक्शन, पानी का कनैक्शन, राशनकार्ड, आधार कार्ड और वोटर कार्ड जैसी सभी सुविधाएँ दे रखी थीं जिससे प्रतीत होता है कि हम रेलवे के अतिकमणकारी नहीं है बल्कि नगर पालिका या राज्य सरकार की जमीन पर बसाये गये हैं। रेलवे द्वारा किये जा रहे मानसिक उत्पीड़न सहने के बावजूद यहां की जनता शान्ति

बनाये रखे हुए है। भारतीय संविधान के भरोसे आस लगाये हुए है जिसे पूरा पूरा भरोसा है

कि माननीय उच्चतम न्यायालय से आवश्य ही न्याय मिलेगा ।

इस भारी ठंड में बेदखली खुले आसमान के नीचे हजारों बच्चों और महिलाओं को

बसर करना पडेगा जिसकी त्रास्तीयां हजारों बच्चों महिलाओं एवं बुजुर्गों का जिन्दगी निगल सकती है। जो अमानवीय अप्राकृतिक न्याय को प्रभाषित करेगी जो दुनिया के महान लोकतंत्र के वैश्विक छवि के लिये अभिषाप बन जाएगी। अतः आप महामहिम महोदया से विनम्र निवेदन है कि अंदाजन 50000 (पचास हजार) आम नागरिकों की गुहार का संज्ञान लेकर उपरोक्त प्रकरण में हस्तक्षेप करके आम नागरिको को बेघर होने में अपनी अहम भूमिका निभाने की कृपा करें। बनभूलपुरा समस्त निवासी सदा आपके आभारी रहेंगे।