शिक्षा विभाग की लापरवाही आई सामने ,पहले दे दिया ज्यादा वेतन और फिर भेज दिया वसूली का नोटिस

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उत्तराखंड में शिक्षा विभाग ने वेतन का गलत निर्धारण बताते हुए करीब 1000 शिक्षकों को वसूली का नोटिस जारी किया है। विभाग ने पहले तो शिक्षकों को ज्यादा वोतन दे दिया और अब उन्हें वेतन वसूली के नोटिस थमा दिया है। जिससे शिक्षकों में आक्रोश है। संगठन इसको लेकर कोर्ट जोने की बात कर रहा है।प्रदेश में एक बार फिर शिक्षा विभाग की लापरवाही सामने आयी है। जहां पहले तो विभाग ने शिक्षकों को ज्यादा वेतन दे दिया लेकिन अब उन्हें वसूली का नोटिस थमा दिया है। ताजा मामला उत्तरकाशी जिले की जूनियर हाईस्कूल की शिक्षिका विमला नेगी का है। उन्हें गत शुक्रवार को नोटिस मिला है। सेवानिवृत्ति के बाद विभाग ने उनकी पेंशन रोक दी है। विभाग ने ये कहतो हुए उनकी पेंशन रोक दी है कि उनसे छह लाख की वसूली की जाएगी।

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ज्यादातर शिक्षक जा चुके हैं कोर्ट
प्रदेश में ये पहला मामला नहीं है इस पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें अधिकतर शिक्षक कोर्ट जा चुके हैं, वहीं, कुछ जाने की तैयारी में हैं। हाल के मामले में उत्तरकाशी जिले की जूनियर हाईस्कूल की सेवानिवृत्त शिक्षिका ने बताया कि सेवानिवृत्त को करीब छह महीने हो चुके हैं।


लेकिन उन्हें अब तक पेंशन एवं अन्य देयकों का लाभ नहीं मिल पाया है। मामले में जानकारी लेने के बाद भाग की ओर से मौखिक रूप से बताया जा रहा है कि उनके वेतन का गलत निर्धारण हुआ था। उनसे छह लाख रुपये से अधिक की वसूली की जाएगी।
उन्होंने बताया कि इस से पहले उन्हें कभी भी गलत वेतन निर्धारण के संबंध में उन्हें कभी लिखित में नहीं दिया गया। जबकि विभाग का कहना है कि विभाग की ओर से 936 शिक्षकों को समय-समय पर वसूली का नोटिस दिया गया है।


विभाग की गलती से दो हजार से ज्यादा शिक्षक हो रहे प्रभावित
शिक्षा विभाग की इस गलती से प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूलों के दो हजार से अधिक शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। शिक्षकों का वेतन रोकने के बजाए विभाग को वेतन का गलत निर्धारण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। शिक्षकों को पेंशन एवं अन्य देयकों का लाभ न दिया गया तो संगठन इसके खिलाफ कोर्ट जाएगा।