इस रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा, ग्लेशियरों के कारण उत्तराखंड में आ सकती हैं बड़ी आपदाएं

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हिमालय को लेकर केद्र ने संसद में एक रिपोर्ट रखी है। जो कि बेहद ही डरावनी है। इस रिपोर्ट ने सभी की चिंताए बढ़ा दी हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कितनी तेजी से ग्लेशियर पिघल रहे हैं। साथ ही ये बताया गया है कि किस तरह की प्राकृतिक आपदाएं आ सकती हैं। सबसे बड़ा खतरा हिमालयी राज्यों और गंगा के मैदानी इलाकों में है।

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हिमालय को लेकर केंद्र की रिपोर्ट ने किया बड़ा खुलासा
केंद्र सरकार ने संसद में एक डरावनी रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि हिमालय के ग्लेशियर अलग-अलग दर से पर तेजी से पिघल रहे हैं। इसके साथ ही ये भी बताया गया है कि लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से हिमालय की नदियां किसी भी समय प्राकृतिक आपदाएं ला सकती हैं।


जलवायु परिवर्तन के कारण कश्मीर से लेकर उत्तर-पूर्वी राज्यों तक आ सकती है आफत
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे जलवायु परिवर्तन के कारण कश्मीर से लेकर उत्तर-पूर्वी राज्यों तक हिमालय से आफत आ सकती। सरकार की ओर से दी गई रिपोर्ट पर संसद की स्टैंडिंग कमेटी जांच-पड़ताल कर रही थी।


संसद की स्टैंडिंग कमेटी यह देख रही है कि देश में ग्लेशियरों का प्रबंधन कैसे हो रहा है। अचानक से बाढ़ लाने वाली ग्लेशियल लेक आउटबर्स्टस को लेकर क्या तैयारी है। खासतौर से हिमालय के इलाको में इसको लेकर क्या तैयारी है।


तेजी से पिघल रहे हैं हिमालय के ग्लेशियर
इस रिपोर्ट को 9 मार्च 2023 को लोकसभा में पेश किया गया। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने बताया कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ग्लेशियरों के पिघलने की स्टडी कर रही है।


इस के तहत लगातार ग्लेशियरों पर नजर रखी जा रही है। इस स्टडी में 9 बड़े ग्लेशियरों का अध्ययन हो रहा है। इसके साथ ही 76 ग्लेशियरों के बढ़ने या घटने पर भी नजर रखी जा रही है।


नदियां कम होंगी तो उत्तराखंड सहित हिमालयी इलाकों में आएंगी आपदाएं
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां एक ओर ग्लेशियर पिघलने से नदियों के बहाव में अंतर आएगा तो वहीं दूसरी ओर की तरह की बड़ी आपदाएं भी आएंगी। हिमालयी इलाकों में GLOF यानी ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड , ग्लेशियर एवलांच, हिमस्खलन आदि जैसी आपदाएं आ सकती हैं।


उत्तरखंड में भी तेजी से मंडरा रहा आपदाओं का खतरा
उत्तरखंड में भी आपदाओं का खतरा तेजी से मंडरा रहा है। उत्तराखंड पहले ही जलवायु परिवर्तन के प्रभाव झेल रहा है। भूकम्प, भू-स्खलन आए दिन उत्तराखंड में तांडव मचा रहा है।
इसी बीच वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड में पहले ही बड़े भूकंप की चेतावनी दी है। अब इस रिपोर्ट के सामने आने से चिताएं औऱ बढ़ गई हैं। जलवायु परिवर्तन से केदारनाथ और चमेली जैसी आपदाओं को लेकर चेतावनी दी गई है।


संयुक्त राष्ट्र ने भी कुछ दिन पहले ही था चेताया
जलवायु परिवर्तन को लेकर कुछ दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र भी चेतावनी दे चुका है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी है कि हिमालय की प्रमुख नदियां सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र का जलस्तर बहुत तेजी से कम होने वाला है। साल 2050 तक इन नदियों का जलस्तर कम होने के कारण 170 से 240 करोड़ शहरी लोगों को पानी मिलना बेहद कम हो जाएगा।


खतरे में गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री ग्लेशियर
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश की सबसे बड़ी नदी गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री ग्लेशियर खतरे में है। बीते 87 सालों में 30 किलोमीटर लंबे ग्लेशियर से पौने दो किलोमीटर हिस्सा पिघल चुका है। भारतीय हिमालय क्षेत्र में 9575 ग्लेशियर हैं. जिसमें से 968 ग्लेशियर सिर्फ उत्तराखंड में हैं। जो कि अब खतरे में हैं।


रिपोर्ट में NDRF के लिए की गई एयर फ्लीट की सिफारिश
इस रिपोर्ट में NDRF के लिए एयर फ्लीट की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 7 फरवरी, 2021 को चमोली में ग्लेशियर टूटने की वजह से बाढ़ आपदा की समीक्षा की गई। जिसके बाद समिति को ऐसे लगता है कि एनडीआरएफ को और मज़बूत करने के लिए कई स्तर पर पहल करना जरूरी है।


रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति ये जानकर हैरान है कि सड़कें ठीक होने के बावजूद दूरी के कारण 7 फरवरी 2021 को उत्तराखंड के चमोली जिले के रेनी में आपदा स्थल पर पहुंचने में एनडीआरएफ बचाव दल की ओर से काफी देरी हुई।


चमोली जिले जैसे आपदा से निपटने के लिए एनडीआरएफ आधुनिक मलवा सफाई उपकरणों से सुसज्जित नहीं है।फरवरी 2021 के चमोली हादसे का हवाला देते हुए संसदीय समिति ने कहा है कि एनडीआरएफ के पास अपना एक एयर फ्लीट होना चाहिए. इससे डिजास्टर साइट पर NDRF के जवानों को जल्दी से जल्दी पहुंचाया जा सके।