पिता ही बनता है बेटी का शौहर! पहले पाल-पोस करता है बड़ा, फिर जवान होते ही रचा लेता है शादी
आज दुनिया पहले के मुकाबले काफी एडवांस हो चुकी है. पहले जहां कई तरह की भ्रांतियां दुनिया को पिछड़ा बनाकर रखती थी, वहीं समय के साथ लोग पढ़े-लिखे बनते गए. ऐसे में उन्होंने कई कुप्रथाओं को मानने से इंकार कर दिया. लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग हैं, जो इन कुप्रथाओं को सीने से लगाकर रखे हुए हैं. उनके मुताबिक़, इन रिवाजों की वजह से ही उनकी पहचान है. भले ही इसके लिए उन्हें खून के रिश् ही शर्मसार करने क्यों नहीं पड़ जाते.
कुप्रथाओं की बात करें तो इसमें बांग्लादेश के एक समुदाय का जिक्र जरूर आता है. इस समुदाय में बाप-बेटी के रिश्ते को कलंकित किया जाता है. जी हां, जिस बाप के सीने से लगकर बेटी खुद को हर तरह की समस्याओं से मुक्त महसूस करती है, उसी बाप से यहां बेटियां डरती है. इसके पीछे वजह है भी बेहद डरावनी. दरअसल, बांग्लादेश के इस समुदाय में जैसे ही बेटी जवान होती है, उसका बाप ही उसका शौहर बन जाता है.
पहले पिता, फिर शौहर
हम बात कर रहे हैं बांग्लादेश के मंडी जनजाति की. इस जनजाति में बेहद अजीबोगरीब प्रथा सदियों से चली आ रही है. यहां अगर कोई महिला कम उम्र में विधवा हो जाती है तो मर्द उससे दूसरा निकाह कर लेता है. इस निकाह में वो उसे पत्नी के सारे अधिकार देता है. उसका भरण-पोषण करता है. लेकिन अगर महिला की पहली शादी से कोई बेटी है तो उसके जवना होते ही वो उससे भी निकाह कर लेता है. इसी शर्त पर वो विधवा को सुहागन बनाने को तैयार होता है. यानी जिस बच्ची को कम उम्र में अब्बा जान बुलवाता है, बाद में वो मर्द उसी का शौहर बन जाता है.
खुद को मानता है मसीहा
मंडी जनजाति एक मर्द इस कुप्रथा को सदियों से मानते आ रहे हैं. उनका तर्क है कि इस रिवाज की वजह से वो दो महिलाओं का जीवन सवार देते हैं. पहले विधवा मां की और बाद में उसकी बेटी की. लेकिन इस कुप्रथा ने आजतक कई बच्चियों की जिंदगी तबाह कर दी है. मंडी जनजाति की ओरोला नाम की लड़की ने इस कुप्रथा का खुलासा किया था. उसने बताया कि जब वो बेहद छोटी थी, तब उसके पिता का देहांत हो गया था. तब उसकी मां ने एक अन्य मर्द से शादी की थी. ओरोला ने पिता समझ उसे इज्जत दी थी. लेकिन जब वो जवान हुई तो इसी सौतेले बाप ने उससे शादी कर उसकी इज्जत लूट ली
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