ऊर्जा कर्मियों ने हड़ताल की तो खैर नही, एस्मा लागू
प्रदेश में ऊर्जा विभाग के कर्मचारियों के द्वारा जिस प्रकार से हड़ताल करने का फैसला लिया गया है उस पर प्रदेश सरकार काफी सख्त कदम उठाने जा रही है।बता दे कि यूजेवीएनएल (उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड), यूपीसीएल (उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड) और पिपटकुल (पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड) के कर्मचारियों की छह अक्तूबर से बेमियादी हड़ताल पर जाने के फैसले पर राज्य सरकार ने भी तेवर सख्त कर लिए हैं। हड़ताल से निपटने के लिए सरकार ने उत्तरप्रदेश, हरियाणा, हिमाचल, एसजेवीएनएल, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड व एनएचपीसी के कर्मचारियों की सूची मंगवा ली है।
ये कर्मचारी हड़ताली कर्मचारियों के स्थान पर मोर्चा संभालेंगे।आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, ऊर्जा के तीनों निगमों के कर्मचारियों के आंदोलन का नेतृत्व कर रही विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बेमियादी हड़ताल पर जाने के बाद मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधू ने ताजा हालात की समीक्षा की। समीक्षा के बैठक में सचिव ऊर्जा सौजन्या, तीनों निगमों के अधिकारी, जिलाधिकारी व पुलिस कप्तानों के साथ मुख्य सचिव ने संभावित हड़ताल पर गहनता से चर्चा की मोर्चा संभालेंगे दूसरे राज्यों के कर्मचारी, सचिव ने पत्र लिखा मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि हड़ताल का तीनों निगमों के कामकाज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।
हड़ताली कर्मचारियों के स्थान पर मोर्चा संभालने के लिए यूपी, हरियाणा, हिमाचल, पावर ग्रिड कारपोरेशन इंडिया, एसजेवीएनएल, टीएचडीसी इंडिया लि. व एनएचपीसी के स्थानापन्न कर्मचारियों की सूची तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है। सचिव ऊर्जा सौजन्या ने सभी राज्यों के ऊर्जा सचिवों व निगमों के प्रबंध निदेशकों को पत्र लिखकर कर्मचा री उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस कप्तानों को निर्देश दिए कि तीनों निगमों में कामकाज निर्बाध और सहज ढंग से संचालित कराने के लिए सारी तैयारी कर लें। ऐसे इंतजाम हो कि निगमों में किसी भी तरह का व्यवधान पैदा न हो।हड़ताली कर्मचारियों से निपटने के लिए सरकार ने आवश्यक सेवा संरक्षण अधिनियम(एस्मा) भी लागू करने की तैयारी कर ली है। पूर्व में भी सरकार कर्मचारियों पर एस्मा लागू कर चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, मुख्य सचिव रविवार को एक फिर सभी जिलाधिकारियों व पुलिस कप्तानों के साथ समीक्षा बैठक कर सकते हैं।विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने सभी जनप्रतिनिधियों व आम जन से नैतिक समर्थन की अपील की है। मोर्चा का कहना है कि बार-बार सत्याग्रह व शांतिपूर्ण निवेदन के बाद निगमों की व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा है।ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने मोर्चा के आंदोलन को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है। रविवार को फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे देहरादून पहुंच रहे हैं। उत्तराखंड अधिकारी कार्मिक शिक्षक महासंघ ने भी मोर्चा को समर्थन दिया। महासंघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने बताया कि रविवार को महासंघ के प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है।
इस मामले में ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि कर्मचारी संगठनों के साथ लंबित मसलों पर वार्ता की गई थी। जिसमें बोर्ड स्तर की छह-सात मांगों का समाधान भी कर दिया गया है। एसीपी और वेतन विसंगति की दो प्रमुख मांगों पर वेतन विसंगति समिति विचार कर रही है। समिति को उनकी मांगों को प्राथमिकता के आधार पर समाधान करने को कहा गया है। हड़ताल कोई अंतिम हथियार नहीं है। हठधर्मिता नहीं होनी चाहिए।
वही दूसरी ओर उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के संयोजक इंसारुल हक का कहना है कि हम टकराव नहीं करेंगे। हम शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन करेंगे। सरकार दूसरे राज्यों के कर्मचारियों से निगमों को संचालित कराना चाहती है तो कराए। पांच अक्तूबर तक हमारी मांगें नहीं मानी गई तो छह अक्तूबर की सुबह से तीनों निगमों में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी जाएगी।
इन प्रमुख मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं कर्मचारी
एसीपी की पुरानी व्यवस्था लागू हो
कर्मचारियों की वेतन विसंगति को दूर की जाए
तीनों निगमों में फ्रीज की गई भर्तियों को खोला जाए
आईटीआई पास को नियुक्ति पर 2600 ग्रेड पे दिया जाए
पॉलिटेक्निक पास कार्मिकों के घटाए गए वेतन को बढ़ाया जाए
उपनल संविदा स्वयं सहायता समूह व ठेकेदारी प्रथा बंद हो
– उपनल संविदा व अन्य कर्मचारियों को नियमित किया जाए
सभी नियुक्त कर्मियों को पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाए
अवर अभियंताओं का वेतन 4800 किया जाए।
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