महंत हरिगिरि महाराज हत्याकांड के राज से उठा पर्दा, डोंगल से हत्यारों तक पहुंची पुलिस

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खटीमा के सीमांत सुरई वन क्षेत्र में स्थित बाबा भारामल समाधि स्थल मंदिर के महंत हरिगिरि महाराज और सेवादार रूप सिंह बिष्ट की बीती चार जनवरी की मध्य रात्रि को हुई निर्मम हत्या और लूट की वारदात का पुलिस ने खुलासा कर दिया है। पुलिस डोंगल की मदद से हत्यारों तक पहुंची। इस मामले में पुलिसने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

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उधम सिंह नगर के पुलिस अधीक्षक मंजूनाथ टीसी ने मामले का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि घटनास्थल गहन जंगल के बीच स्थित होने के कारण उक्त मामले में कोई लीड हाथ नहीं लग पा रही थी। जिसके बाद इस वारदात का खुलासा करने के लिए 15 टीमों का गठन किया गया।

गठित टीमों के द्वारा अलग-अलग स्तर पर मामले की जांच शुरू कर दी गई। मामले के खुलासे के लिए 1000 से ज्यादा लोगों के बयान लिए गए और 1500 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच भी की गई। जिसके बाद मामले का एक सुराग हाथ लग पाया।

शराब पीने से मना करने पर कर दी हत्या
सर्विलांस टीम के द्वारा संदिग्ध व्यक्तियों के मोबाइल नंबरों पर घटना के समय संदिग्ध गतिविधि देखी गई। जिसकी जांच करते हुए पुलिस टीम ने उत्तर प्रदेश के पीलीभीत क्षेत्र से तीन अभियुक्त कालीचरण, रामपाल और पवन को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों ने बताया कि भंडारे में अभियुक्त कालीचरण अपने सगे भाई रामपाल के साथ आया था।

भंडारे के आखिरी दिन दोनों भाइयों द्वारा शराब का सेवन करने पर महंत हरीगिरी महाराज के द्वारा दोनों भाइयों को डांटकर भगा दिया गया। जिस से दोनों आक्रोश में आ गए और अपने एक साथी के साथ मिलकर दोनों ने महंत हरिगिरि महाराज और एख सेवादार की हत्या कर दी।

ऐसे दिया घटना को अंजाम
आरोपियों ने बताया कि डांटकर भगाने के कारण और इस रंजिश के साथ-साथ भंडारे में चढ़ने वालीं रकम को देखकर भी दोनों के मन में लालच पैदा हो चुका था। जिसके चलते इन्होंने अपने तीसरे साथी पवन जो कि पीलीभीत श्मशान घाट में औघड़ बाबा के रूप में रहता था और पूर्व हिस्ट्रीशीटर है उसे अपने साथ शामिल कर इस घटना को अंजाम दिया।

इस घटना को अंजाम देने के लिए अपराधी पीलीभीत से मैजिक वाहन के द्वारा खटीमा पहुंचे जहां से पहले टुकटुक और बाद में पैदल यात्रा करके भारामल मंदिर पहुंचकर पास में ही छुप गए। रात 11 बजे अनुकूल समय देखकर अपराधियों ने इस लूट और दोहरी हत्या की वारदात को अंजाम दिया। मंदिर की दान पेटियों और अन्य सामान की लूटपाट करने के उपरांत अपराधी सूखापुल के पास जंगल में छुप गए और सुबह होने पर छुपते-छुपाते वापस पीलीभीत लौट गए।