भाजपा हुई एबीवीपी पर हावी, संगठन के लिए कई सालों से कार्य कर रहे कार्यकर्ताओं को किया किनारा इसीलिए नहीं मिला छात्रों के वोट का सहारा देखें पूरी रिपोर्ट

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हल्द्वानी एसकेटी डॉट कॉम

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हालांकि अब छात्र संघ चुनाव के नतीजे निकल चुके हैं विभिन्न महाविद्यालयों में छात्र संघ अपना कार्यकाल शुरू कर चुका है. पर फिर भी इस बात की समीक्षा हर चौराहे, हर महाविद्यालयों के नुक्कड़ो पर होने लगी है कि आखिर इतना मजबूत संगठन होने के बाद भी एबीवीपी आखिर निर्दलीयों के हाथों कैसे बुरी हार हार गए.

तमाम संगठनो में रहे लोगों से बातचीत के बाद हम यह निष्कर्ष पर पहुंचे हैं भाजपा का संगठन एबीवीपी पर हावी हो गया. रामनगर के अलावा जिन महाविद्यालयों में एबीवीपी की हार हुई है वहां निश्चित रूप से संगठन का कोई भी प्रत्याशी चुनाव में था ही नहीं. भाजपा के कुछ पदाधिकारियों की पसंद का कैंडिडेट जबरदस्ती एबीवीपी का कैंडिडेट बनाया गया.

जिसे एबीवीपी के कार्यकर्ता पचा नहीं पाए और उन्होंने संगठन के लिए कई वर्षों से काम कर रहे प्रत्याशी को सामने कर भाजपा की प्रत्याशी को जमीन दिखा दी. और और हल्द्वानी महाविद्यालय मैं कई वर्षों से काम कर रहे प्रत्याशियों को भाजपा द्वारा नकारा गया निर्दलीयों ने अपना परचम लहरा दिया हल्द्वानी महाविद्यालय में तो प्रचंड जीत ने एबीवीपी के झंडे के तले लड़ रहे भाजपा की पसंद के दुगने मतों से हारा रख दिया.

वही नैनीताल में एबीवीपी का विद्रोही साक्षी एबीवीपी के से अधिक वोट लेकर आता है और एबीवीपी का प्रत्याशी तीसरे नंबर पर लुढ़क जाता है जिस फायदा एनएसयूआई के समर्थन से काले झंडे को लेकर चुनाव लड़ रहे शिवम बिष्ट को जीत मिल गई.

हल्द्वानी महाविद्यालय में तो एबीवीपी के लिए कई वर्षों से काम कर रही रश्मि लमगडिया जिस तरह से प्रचंड जीत के साथ छात्रों के बीच में आई उससे भाजपा के द्वारा उसके सामने रखे गए प्रत्याशी वर्चस्व पर ही सवालिया निशान खड़े हो गए. वही हाल कोटाबाग महाविद्यालय का भी रहा जहां निर्दलीय प्रत्याशी ने एबीवीपी और एनएसयूआई के प्रत्याशी को धूल चटा दी.

लाल कुआं के लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय में एबीवीपी के प्रत्याशी को 3 अंकों तक भी नहीं पहुंचने दिया. यहां भी यह बताया गया कि भाजपा ने एबीवी पी संगठन पर दबाव बनाया और अपनी पसंद का प्रत्याशी मैदान में उतारा जिसे बड़ी हार मिली.

छात्र संघ चुनाव के लिए इस बार छात्रों में काफी उत्सुकता थी क्योंकि पिछले 2 वर्षों से कोविड-19 जैसे छात्र संघ के चुनाव नहीं हो पाए थे. सबसे बड़ी बात यह है कि इस बार सबसे बड़े संगठन और ताकतवर पार्टी भारतीय जनता पार्टी के अनुषांगिक संगठन भारतीय विद्यार्थी परिषद में टिकटों की मारामारी थी महाविद्यालय से ही तीनों प्रत्याशी एबीवीपी से ही टिकट मांग रहे थे जबकि एनएसयूआई के पास तो लड़ने के लिए ठीक-ठाक सा चेहरा भी नहीं था इसीलिए उन्होंने तुरंत ही एबीवीपी के बागी को अपना टिकट थमा दिया. वहीं छात्रों और छात्राओं के बीच लंबे समय से काम कर रही रश्मि लम गाड़िया निर्दलीय ही खड़ी हो गई. भाजपा के द्वारा अपनी पसंद के चेहरे को छात्र संघ के चुनाव में उतारा गया उससे छात्र संगठन की भी किरकिरी हुई.

हल्द्वानी महाविद्यालय में तो विशेषकर यह देखा गया कि भाजपा के कई प्रदेश पदाधिकारी जिला अध्यक्ष युवा मोर्चा के अध्यक्ष प्रदेश पदाधिकारी और विधायक भी हल्द्वानी में ही निवास करते हैं और सभी ने अपनी तरफ से प्रयास भी किए लेकिन कुछ लोगों द्वारा प्रोजेक्ट किए गए कैंडिडेट को वह छात्रों के हाथों वोट नहीं दिला पाए. एक विधानसभा में तो विधायक पर जिलाध्यक्ष ने दबाव भी डाला कि वह संगठन के पसंद के प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करें बात की जाए तो सिर्फ राम नगर विधानसभा के अंतर्गत आने वाले महाविद्यालय में ही एबीवीपी का प्रत्याशी चुनाव जीत पाया और उसने भी बहुत बड़ी जीत हासिल की थी एनएसयूआई को कई सालों से चुनाव लड़ा रहे संजय नेगी के समर्थित कैंडिडेट को अपने से आधे वोटों पर ही समेट दिया. और एक बड़ी जीत हासिल की.

आशीष मेहरा ने ही बचाई नैनीताल जिले में एबीवीपी की साख

यहां पर विधायक पुत्र एवं एबीवीपी के लिए कई बार कैंडिडेट जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जगमोहन सिंह बिष्ट एवं उनकी टीम के लगातार छात्रों के साथ संपर्क बनाए रखने की वजह से एबीपीबी के कैंडिडेट को प्रचंड जीत मिली यह देखा गया कि एबीवीपी से जुड़े छात्र वास्तव में कैंडिडेट के लिए मेहनत कर रहे थे.

नैनीताल जिले में सबसे वरिष्ठ नेता बंशीधर भगत का प्रभाव हल्द्वानी और कोटाबाग विधानसभा में रहा है लेकिन इसके बावजूद दोनों जगह एबीवीपी कहीं भी जीत की लाइन में खड़ा नहीं दिखा कोटाबाग क्षेत्र में ज्यादा प्रभाव भाजपा का रहता है लेकिन यहां भी एबीवीपी का कैंडिडेट निर्दलीय कैंडिडेट से मार खा गया.

भाजपा के जिला संगठन में भी देखा जाए तो आधे से अधिक पदाधिकारी हल्द्वानी और कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं प्रदेश महामंत्री से लेकर प्रदेश प्रवक्ता युवा अध्यक्ष एससी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अल्पसंख्यक मोर्चे के कई पदाधिकारी भी हल्द्वानी में रहते हैं. युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के तो लगातार ही युवाओं के बीच देखे जाते हैं लेकिन इसके बावजूद निर्दलीय प्रत्याशी को मिले वोटों के बराबर भी एबीवीपी के के प्रत्याशी को नहीं दिला पाए. ऐसी में जानकार लोगों ने बताया कि अगर भाजपा एबीवीपी के लिए काम कर रहे छात्रों के बीच में से ही छात्र प्रिय कैंडिडेट को चुनते निश्चित रूप से एबीवीपी को नैनीताल जिले में इतनी बड़ी करारी हार नहीं मिलती.