texi यहां की पहचान काली-पीली प्रीमियर पद्मिनी टैक्सियां अब नहीं दिखेंगी सड़कों पर, जानें वजह

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सालों तक मुंबई की सड़को की पहचान रही काली-पीली कारें जिन्हें प्रीमियर पद्मिनी टैक्सी भी कहा जाता है, अब नहीं चलेंगी। इनकी जगह अब नए मॉडल वाली ऐप आधारित कैब सेवाएं शुरू होंगी। बता दें कि छह दशकों तक मुंबई की शान समझी जाने वाली इन टैक्सियों को डीजल- संचालित डबल-डेकर बसों को बंद किये जाने के बाद सड़कों से हटाया जा रहा है।

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महात्मा गांधी ने की थी काले-पीले रंग की सिफारिश
मीडिया रिपोर्ट में मिली जानकारी के अनुसार महात्मा गांधी ने पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू से सिफारिश की थी कि कैब के ऊपरी हिस्से को पीले रंग से रंगा जाना चाहिए ताकि दूर से देखा जा सके और किसी भी दाग को छिपाने के लिए निचले हिस्से को काला किया जाए।

29 अक्टूबर 2003 को आखिरी बार हुआ रजिस्ट्रेशन
मुबंई के सार्वजनिक परिवहन बेस्ट यानी वृहत्रमुंबई इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग की ओर से काली- पीली टैक्सी के रूप में अंतिम बार रजिस्ट्रेशन 29 अक्टूबर 2003 को टारदेव आरटीओ में हुआ था। एक कैब के लिए 20 साल की सीमा तय है। इस हिसाब से रविवार को यह अंतिम बार चलेगी।