पंतनगर यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाये जाने का प्रस्ताव सीएम धामी की दूरदर्शिता
हरित क्रांति की जननी पंतनगर विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट में पास होने को ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम है, इसके साथ ही राजकीय विद्यालयों में दसवीं और 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को टैबलेट दिये जाने के फैसलों की भी सराहना करते हुए इसे शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा कदम बत हैं। पंतनगर विश्वविद्यालय हरित क्रांति की जननी रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उपेक्षा के चलते यह अपनी पहचान खोता जा रहा था। इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की मांग कई वर्षों से हो रही थी, लेकिन कुछ लोगों की संकीर्ण मानसिकता के कारण इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने में बाधायें सामने आ रही थी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए पंतनगर विवि को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए इस प्रस्ताव को कैबिनेट बैठक में पास कराया है। कैबिनेट में इस प्रस्ताव के पारित होने मे कृषि मंत्री सुबोध उनियाल और किच्छा विधायक राजेश शुक्ला का भी अहम योगदान रहा है। कैबिनेट में यह प्रस्ताव पास होने के साथ ही अब पंतनगर विश्वविद्यालय के केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। पंतनगर विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाये जाने पंतनगर विश्व विद्यालय विकास की दिशा में तेजी से अग्रसर होगा। इसका लाभ न सिर्फ यहां के युवाओं को मिलेगा बल्कि शोध कार्य व रोजगार दोनों में वृद्धि होगी। छात्रों का कृषि विज्ञान की शिक्षा की ओर रूझान बढ़ेगा और इससे खेती किसानी मजबूत होगी और किसानों की आय भी बढ़ेगी।
पंतनगर विवि देश की अमूल्य धरोहर है। केंद्रीय विवि का दर्जा मिलने से विद्यार्थियों, वैज्ञानिकों, किसानों सहित देश एवं समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुंचेगा। केंद्रीय विवि का दर्जा मिलने से न केवल विवि में देश दुनिया के मेधावी छात्र पढ़ने व शोध करने आएंगे, बल्कि जिससे शोधों की गुणवत्ता के साथ शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि होगी और इसका लाभ राज्य के किसान के साथ देश के अन्य राज्यों को भी मिलेगा। कृषि से जुड़े विभिन्न प्रकार की तकनीकों को विकास होने से नई तकनीकों की खोज होगी। तराई के साथ प्रदेश के दूरस्थ जिलों की जरुरतों के हिसाब से उन्नतशील प्रजातियों के साथ टेक्नोलाजी विकसित हो सकेगी।
धामी ने दसवीं और बारहवीं के विद्यार्थियों को टैबलेट दिये जाने के सरकार का बड़ा फैसला है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर डिजिटल दौर है। कोविड काल के बाद आॅनलाइन शिक्षा का महत्व बढ़ गया है। अब घर बैठी ही छात्रों को अपनी शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है। आज इंटरनेट के दौर में पढ़ाई का तरीका भी बदल रहा है ऐसे में सरकारी स्कूलों को भी अब निजी स्कूलों की तरह हाईटैक बनाने की जरूरत महसूस हो गयी है। इस दिशा में पिछले दिनों सरकार ने अटल आदर्श स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा की व्यवस्था की शुरूआत की थी अब दसवीं और बारहवीं के बच्चों को निःशुल्क टैबलेट देकर सरकार ने छात्रा-छात्राओं को डिजिटल युग में नए कारनामे करने को न्योता दिया है।
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