ऐसा नॉनवेज इसके सेवन से 70 साल का भी हो जाए जवान

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सभी लोग दुनिया में मटन चिकन अंडा का सेवन करते हैं जिससे से को प्रोटीन कैल्शियम विटामिन मिल सके उनके इम्यूनिटी बढ़ सके कोरना के बाद से तो इनका सेवन ज्यादा होने लगा है आज हम आपको ऐसे ही नॉनवेज के बारे में बताने जा रहे हैं जो बहुत सस्ता है सभी गुण भरपूर

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तो हम सभी नॉनवेज का मतलब मटन-चिकन समझते हैं. लेकिन, दुनिया के अलग-अलग इलाके में तरह-तरह के नॉनवेज खाए जाते हैं. आज एक ऐसे ही नॉनवेज की कहानी जो बेहद सस्ता है और वह विटामिन, प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर है. इसमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी लगभग जीरो है.

भास्कर ज्योति दासनॉनवेज को प्रोटीन, आयरन और कैल्सियम का सबसे बेहतर स्रोत माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो लोग नियमित तौर पर नॉनवेज यानी मटन, चिकन, मछली और अंडे का सेवन करते हैं उनमें हीमोग्लोबिन की कमी नहीं हो सकती. नॉनवेज खाने वालों में हीमोग्लोबिन की कमी होने पर डॉक्टर भी आश्चर्य जताते हैं. दुनिया के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग तरीके से नॉनवेज खाने का कल्चर है. मटन, चिकन और अंडा पूरे देश में लोग बेहद चाव से खाते हैं. वहीं मछली खाने का कल्चर इलाकों के हिसाब से अलग-अलग है. समंदर से लगे इलाकों जैसे पश्चिम बंगाल, ओडिशा और दक्षिणी राज्यों में मछली खूब पसंद की जाती है.

लेकिन, आज हम इन सभी प्रमुख नॉनवेज से अलग एक खास नॉनवेज की बात कर रहे हैं. यह मात्र 80 से 100 रुपये किलो के भाव से मिलता है. लेकिन, इमसें प्रोटीन, कैल्सियम, हीमोग्लोबिन और अन्य विटामिन इतनी प्रचुर मात्रा में मिलती है कि एक 70 साल का बुजुर्ग कुछ दिनों तक इसका सेवन कर ले तो वह एक जवान युवा की तरह महसूस कर सकता है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं स्नेल यानी घोंघा की. यह एक खास प्रजाति का जीव है. यह असम और पश्चिम बंगाल सहित नमी और पानी वाले इलाकों में ज्यादा पाया जाता है. यह एक जलीय जीव है. ये मुख्य रूप से सर्दियों में धान के खेत में पाया जाता है. असम में इसे शमुक कहा जाता है. यह 80 से 100 रुपये किलो के भाव से बिकता है. असम के आदिवासी समाज के लोग इसे खूब पसंद करते हैं. राभा, कार्बी और बोडो समुदाय के लोग भी इसे खूब पसंद करते हैं.