बजट से कुछ आशा कुछ निराशा भी: सरोज आनंद
हल्द्वानी एसकेटी डॉट कॉम
केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए बजट से उत्तराखंड को कुछ विशेष तो नहीं मिला लेकिन जिस तरह से बजट में पर्यटन, रेलवे ,जलापूर्ति के लिए प्रावधान किया गया है उससे निश्चित रूप से एक उम्मीद तो जाती है लेकिन यह उम्मीद तभी कायम रहेगी जब उत्तराखंड की सरकार इस ओर ध्यान देगी और अपना प्रस्ताव केंद्र सरकार के सामने रखेगी और केंद्र उस पर इनायत भरी नजरों से देख ले तो इस बजट का कुछ लाभ इस पर्वतीय राज्य को भी हो सकता है।
इस बजट को लेकर हल्द्वानी के सुप्रसिद्ध चार्टर्ड अकाउंटेंट सरोज आनंद जोशी से सीधी बातचीत के बाद उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा प्रस्तुत किया गया यह बजट निश्चित रूप से उत्तराखंड के लिए आशा की किरण लाया है लेकिन यह किरण तभी उगते सूरज की तरह सामने आएगी जब यहां की नीति नियंता और सरकार इस ओर अपनी नीति बनाकर इन सरकार से बजट ले सकें। उन्होंने कहा कि आयकर स्लैब में कोई परिवर्तन नहीं होने और किसान सम्मान निधि मैं कटौती से निश्चित रूप से निराशा भी हुई है। चार धाम बद्रीनाथ तथा टनकपुर बागेश्वर रेलवे लाइन इस प्रदेश की जरूरत बन गई है यहां का सर्वांगीण विकास रेलवे के विकसित होने के साथ ही संभव हो सकता है साथ ही ग्रामीण इलाकों में टूरिज्म फलोत्पादन और ऐसी सब्जियां जो जैविक बिधि से जाती है उनके लिए सरकार को प्रयास करना चाहिए तथा उत्तराखंड की आने वाली सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा।
सरोज आनंद जोशी ने कहा कि ग्रामीण उत्तराखंड मे टूरिज़्म बढ़ावा देने के लिए एक अवसर ये बन सकता है कि यहाँ रोपवे के निर्माण की अपार संभावनाओ के साथ दुर्गम क्षेत्रों को स्वास्थ्य से जोड़ने की अनिवार्य आवश्यकता भी है इस बार बजट भाषण मे 60 किमी की लंबाई के 8 रोपवे परियोजनाओं को पीपीपी मॉडल में कार्यान्वित करने की बात कही गई है जो हमारे राज्य के लिए कुछ संभावना बन सकती है पर इस अवसर को क्या हमारी राज्य सरकार भुना पाएगी ये बड़ा सवाल है।
नदियों के उद्गम का प्रदेश कहे उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों मे जहां सबसे बड़ी आबादी के शहरी क्षेत्र हैं खासकर पिथौरागढ़ अल्मोड़ा जिला मुख्यालयों मे जहां पीने से साफ पानी की भारी किल्लत है जहां स्वच्छ नदियों के पेय जल की धाराओ को नलों से जोड़ने की आभारभूत जरूरत है वहाँ इस बजट भाषण मे ‘हर घर नल से जल’ ये योजना कारगर साबित हो सकती है
हम लोग यूरोप की तर्ज मे पिछले 110 साल से पहाड़ों मे ट्रेन का सपना सजाए बैठे हैं 60 के दशक के बजट उसके बाद की सरकारों सहित वर्तमान मोदी सरकार के बजट मे भी बागेश्वर रेल परियोजना का जिक्र किया पर वो सपना अभी तक सपना ही रह गया इस बजट मे उस परियोजना का जिक्र तो नहीं पर हम उम्मीद करते हैं 400 वंदे भारत ट्रेनों मे हमारी टनकपुर बागेश्वर रेल भी शामिल होगी!
जो माध्यम वर्ग प्रत्यक्ष कर का भुगतान करता है उसे इस बजट मे कोई खास राहत नहीं दी सिवाय दीर्घकालीन पूजिगत लाभकर मे 5% छूट के , लोगों को उम्मीद थी कम से कम 5 लाख तक बिल्कुल भी टैक्स न हो वर्तमान मे 5 लाख तक छूट तो है पर 5 लाख से अधिक कमाई वालों को ढाई लाख से ऊपर कमाई पर टैक्स लगता है
किसानों की ये दुगुनी करने का भी कोई कोई खाका इस बजट मे स्पष्टतः नहीं है
केन्द्रीय बजट मे सरकार ने अपना काम तो कर दिया है पर सबसे अधिक जिम्मेदारी यहाँ के स्थानीय जनता की है कि वो स्थानीय मुद्दों समस्याओ पर विमर्श, चिंतन-मनन करे, संघीय ढांचे का मतलब समझे और अपनी प्रवृति के अनुसार केवल राष्ट्रीय मुद्दों की हवा मे न रहे और अपने प्रदेश पर गंभीरता से सोचें तभी प्रदेश का विकास संभव हो पायेगा॥
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