एक्शन में आये आरएफसी रयाल, बाजपुर मिल को वापस लेनी पड़ी 88 कुंतल चीनी । सुर्खियों में था यह मामला
हलद्वानी एसकेटी डॉट कॉम
हल्द्वानी के आरएफसी गोदाम में बाजपुर की चीनी मिल से आई 88 कुंटल खराब एवम काली चीनी की समुचित जांच के बाद यह पाया गया की उक्त चीनी बाजपुर मिल से ही आई है। बाजपुर चीनी मिल के कट्टे एवं टैग होने के कारण यह इनकार नहीं किया जा सकता था कि यह चीनी मिल से नहीं आई है।
जबकि पूर्व में मिल प्रबंधक द्वारा यह बताया गया कि उनके मिल से चीनी के बाहर निकलने के बाद उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं रह जाती है। चीनी लदान के द्वारा वहां पर पूर्ति विभाग का अधिकारी मौजूद रहता है तथा चीनी चेक करके ही ट्रक में लादी जाती है। वही जांच में यह भी पाया गया कि बाजार में मिल के कट्टे एवं टैग नहीं मिल सकते हैं तो ऐसे में यह कैसे कहा जा सकता है कि यह चीनी बाहर की होगी।
किसी भी बात की सत्यता उसके ट्रेडमार्क पर निर्भर करती है यदि चीनी के कट्टों में टैग और ट्रेडमार्क तथा लॉट संख्या अंकित है तो साबित होता है कि चीनी कहीं बाहर से नहीं आई है।
आरएफसी ललित मोहन रयाल ने चीनी को वापस बाजपुर मिल भेजने की निर्देश दिए और बाजपुर मिल को यह चीनी वापस लेनी पड़ी। जबकि इससे पूर्व मिल प्रबंधन द्वारा यह कहा गया था कि यह चीनी और कट्टे तथा टैग और सिलाई उनके कष्टों एवं सिलाई से भिन्न है लेकिन अंततोगत्वा जब यह मामला सामने आया कि खुले बाजार में जिस तरह के कट्टे टैग कहीं भी उपलब्ध नहीं हो सकते हैं तो मिल प्रबंधन को मजबूरी में चीनी वापस लेनी पड़ी और इसके बदले में उचित क्वालिटी की 88 क्विंटल चीनी हल्द्वानी के आरएफसी में भेजनी होगी।
इस संबध जब बाजपुर चीनी मिल के प्रबंधक से उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने इस मामले मे अनभिज्ञता जाहिर की जब उन्हें यह बताया गया कि यह वापसी हुई है तो उन्होंनेकहा स्टोर वालो को पता होगा। फोन को काट दिया। जब दुबारा सम्पर्क करने की कोशिश की गई तो फोन उठाया नही गया।
हल्द्वानी के आरएचस
सबसे पहले ख़बरें पाने के लिए -
👉 सच की तोप व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें