‘पाकिस्तानी ना मार पाए…लेकिन हमारी फोर्स ने मार दिया…’, Ladakh हिंसा में मारे गए बेटे के पिता का बयान रूला देगा





Ladakh Protest: लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के तहत शामिल करने को लेकर लेह में युवाओं का प्रदर्शन चल रहा था। 24 सितंबर को ये प्रदर्शन उग्र हो गया। जिसके चलते पुलिस ने फायरिंग कर दी। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई । इन्हीं में से एक 46 साल के थारचिन(tsewang tharchin) ने भी अपनी जान गवाई थी। इसी बीच उनके पिता का बयान आपकी आंखे नम कर देगा।
Ladakh Protest: हिंसा में जान गवाने वालों में करगिल योद्धा भी शामिल
Ladakh लेह से 8 किलोमीटर दूर साबू गांव के रहने वाले थारचिन के घर काफी गम का माहौल है। घर के बीच कारगिल वॉर लड़ चुके त्सेवांग का शव रखा है। परिवार वाले इसके चारों ओर बौद्ध मंत्र पढ़ रहे हैं। खबरों की माने तो साल 1996 से 2017 तक थारचिन स्काउट्स में हवलदार रहे।
साथ ही उन्होंने कारगिल युद्ध में भी हिस्सा लिया था। पाकिस्तानियों के साथ उनकी जंग भी हुई थी। रिटायरमेंट के बाद उनकी लेह में एक कपड़ों की शॉप थी। उनके पिता भी कागिल युद्ध लड़ चुके है। वो साल 2002 में सेना में सूबेदार मेजर और मानद कैप्टन के पद से रिटायर हुए हैं।
‘पाकिस्तानी ना मार पाए…लेकिन हमारी फोर्स ने मार दिया…’
बेटे की मौत से उन्हें काफी क्षति पहुंची है। उन्होंने कहा, “मेरा बेटा देशभक्त था। पाकिस्तानी मार ना सके, हमारी ही फोर्स ने मार दिया. क्या हमारे जैसे देशभक्तों के साथ ऐसा बर्ताव होना चाहिए?”
परिवार की माने तो थारचिन के शरीर पर लाठी मारने के निशान हैं। जिससे ये साफ होता है कि गोली मारने से पहले उन्हें बुरी तरह पीटा गया। परिवार ने बेटे की मौत को हत्या कहा है। तो वहीं पत्नी ने इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने कहा, “फायरिंग का आदेश किसने दिया? किसने गोली मारी? रबर बुलेट या आंसू गैस से भीड़ को काबू क्यों नहीं किया गया? हम इसलिए हैरान हैं कि हमारे खुद के लोगों ने उन्हें मार दिया।”
Ladakh वाले आगे बढ़कर करते है सेना की मदद
थारचिन के छोटे भाई ने कहा, “जब भी जंग होती है, हम लद्दाखी आगे बढ़कर सेना की मदद करते हैं। अब हमें ही देशद्रोही कहा जा रहा है। लोग क्या मांग रहे हैं? अपनी जमीन और अर्थव्यवस्था पर अधिकार? खुद प्रशासन करने का अधिकार, अपनी अनूठी संस्कृति को बचाए रखने का अधिकार।
लेकिन आप इसका जवाब हम पर गोलियां चलाकर और हमारी सबसे मुखर आवाज सोनम वांगचुक को जेल में डालकर कैसे देंगे?” त्सेवांग थारचिन के पिता बताते है, “मेरा बेटा लद्दाख के लिए शहीद हुआ है। उम्मीद है सरकार हमारी आवाज सुनेगी।
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