नरक के दरवाजे’ का रहस्य खुला, वैज्ञानिकों ने किया ये खुलासा

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साइबेरिया में कुछ महीनों पहले एक विशाल गड्डा फिर से बड़ा होने लगा, जिसे ‘नर्क का दरवाजा’ कहा जाता है। वो गड्ढा अपने अंदर आसपास की चीजों को निगल रहा था, ऐसे में उसके पास जाने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पा रहा था। अब वैज्ञानिकों ने उससे जुड़े कई राज खोले हैं।

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रिपोर्ट के मुताबिक इस विशाल गड्ढे का नाम बटागाइका क्रेटर है, लेकिन इसे स्थानीय लोग ‘गेटवे टू हेल’ यानी ‘नर्क का दरवाजा’ कहते हैं। इसका पता तो 20वीं सदी में ही चल गया था, लेकिन हाल ही में इसका आकार बहुत ज्यादा बढ़ गया। साथ ही आसपास की चीजें इसमें समाने लगीं।

दूसरा सबसे पुराना परमाफ्रॉस्ट
शोधकर्ताओं के मुताबिक ये पृथ्वी पर खोजा गया दूसरा सबसे पुराना परमाफ्रॉस्ट है। इसकी वजह से 6,50,000 साल पहले की जलवायु का भी पता चला है। शोधकर्ताओं को अंदर जो परतें मिली हैं, उनका निर्माण 2 लाख से 6.50 लाख साल के बीच हुआ होगा। ये माना जाता है कि उस समय जमी हुई बर्फ पिघलने की वजह से गड्ढा बना।

मामले में जर्मनी में अल्फ्रेड वेगेनर इंस्टीट्यूट के जीवाश्म विज्ञानी थॉमस ओपन ने कहा कि अंदर बहुत सी चीजों पर लाखों साल पुराने कार्बन मिले हैं। जिससे उस वक्त के जलवायु परिवर्तन के बारे में पता चला है। ये आगे के परिवर्तन की भविष्यवाणी भी कर सकते हैं।

अंदर से आती हैं आवाजें
वैसे तो इसकी खोज 1960 के दशक में हो गई थी, लेकिन 2022 में ये फिर से चर्चा में आया। इसके अंदर से कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई थीं, जो चीख या जोर से उछालने जैसी थी। इस वजह से इसका नाम नर्क का दरवाजा पड़ा।

माना जाता है कि हिमयुग से ही ये गड्ढा है, जिस पर काफी ज्यादा बर्फ जमी थी। 1960 के दशक में जब वन क्षेत्र को साफ किया गया, तो सूरज की रोशनी जमीन पर पहुंच गई और उसे गर्म करने लगी। इसके बाद बर्फ पिघली और जमीन धंसने लगी। ये अब आसपास की चीजों के लिए भी खतरा पैदा कर रही।